शुक्रवार, 9 मार्च 2012

...तो 10 जनपथ आज सत्ता का केंद्र नहीं होता

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने 09 मार्च, 2012 को अपने ब्लॉग पर लिखा है कि यदि उन्होंने 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का एक प्रस्ताव स्वीकार कर लिया होता तो आज सत्ता के सबसे बड़े केंद्र बने 10, जनपथ से विपक्ष की गतिविधियां संचालित होतीं।
 आडवाणी के अनुसार, राजीव गांधी ने वर्ष 1991 में उन्हें विपक्ष के नेता की हैसियत से 10, जनपथ के आवास की पेशकश की थी। वह चाहते थे कि जिस प्रकार प्रधानमंत्री का स्थाई आवास 7, रेसकोर्स है, उसी तरह लोकसभा में विपक्ष के नेता का स्थाई आवास 10, जनपथ हो। लेकिन आडवाणी ने इसे नकार दिया और आज यह सत्ता का केंद्र है।

भाजपा नेता ने अपने ब्लॉग पर लिखा है, ‘मैंने कई बार कहा है कि लोकतंत्र में प्रधानमंत्री से महत्वपूर्ण कोई नहीं है। केवल कम्युनिस्ट देशों में पार्टी के शीर्ष अधिकारी की हैसियत सरकारी अधिकारी से अधिक होती है। लेकिन हमारे देश में इन दिनों सबसे महत्वपूर्ण पता 10, जनपथ है न कि 7, रेसकोर्स रोड।’ 
 उन्होंने लिखा, ‘इन दिनों मैं अक्सर सोचता हूं कि यदि मैंने 1991 में राजीव का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया होता तो यह मेरा आवास होता। दरअसल, 1989 में जब जनता दल के वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने थे तो उनकी सरकार को भाजपा और वाम मोर्चे ने बाहर से समर्थन दिया था। कांग्रेस ने तब राजीव गांधी को लोकसभा में विपक्ष का नेता चुना था। लेकिन वर्ष 1991 में भाजपा ने सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया, जिसके बाद वह अल्पमत में आ गई। फिर राजीव ने राष्टपति से मिलकर चंद्रशेखर को प्रधानमंत्री के लिए कांग्रेस का समर्थन देने की बात कही।’ आडवाणी के अनुसार, ‘इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने उनसे कहा कि चूंकि उन्होंने नई सरकार को समर्थन देने का लिखित आश्वासन राष्टÑपति को दिया है, इसलिए उनकी पार्टी विपक्ष में नहीं रह सकती और न ही वह विपक्ष के नेता रह सकते हैं।
लोकसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि अब भाजपा विपक्षी पार्टी होगी और मैं सदन में प्रतिपक्ष का नेता। भाजपा नेता ने लिखा, ‘अगले दिन मुझे राजीव का फोन आया। उन्होंने सबसे पहले मुझे बधाई दी और फिर कहा कि मैं पंडारा पार्क स्थित अपना आवास छोड़कर 10, जनपथ आ जाऊं, क्योंकि वह चाहते हैं कि जिस तरह प्रधानमंत्री के लिए 7, रेसकोर्स स्थाई आवास है, उसी तरह विपक्ष के नेता का स्थाई आवास 10, जनपथ हो और चूंकि वह विपक्ष के नेता नहीं रहे, इसलिए वह किसी और बंगले में चले जाएंगे। लेकिन मैंने उन्हें धन्यवाद देते हुए उनका यह प्रस्ताव नकार दिया।’ आडवाणी ने अपने ब्लॉग में 30, पृथ्वीराज रोड स्थित आवास पर गुरुवार को खेली गई होली का जिक्र भी किया और होली के बहाने ही यह खुलासा भी किया।

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