कहां से लाएंगे 66 हजार करोड़
उत्तर प्रदेश में चुनाव नतीजों से साफ है कि समाजवादी पार्टी सरकार बनाने जा रही है। अब लोगों की नजर सपा के वादों पर हैं, जो उसने चुनाव के दौरान जनता से किए हैं। लेकिन ये वादे कैसे पूरे होंगे, यह साफ नहीं है। सपा ने जो वादे किए हैं, उन्हें निभाने के लिए तकरीबन 66 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा चाहिए। लेकिन सरकारी खजाने में पैसा ही नहीं है। वित्त वर्ष 2010-11 में राज्य का जीडीपी 5.68 लाख करोड़ रुपये रहा। इस दौरान कुल राजकोषीय घाटा करीब 18,959.66 करोड़ रुपये था जो राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.97 फीसदी था। सपा ने अपने घोषणापत्र में ऐसी किसी नीति का भी जिक्र नहीं किया है, जिसे लागू कर पैसा जुटाया जा सकता है। ऐसे में अर्थव्यवस्था की ऐसी खस्ता हालत में अगर मुलायम सिंह यादव अपने वादे निभाने की सोचते हैं तो उन्हें कर्ज लेना पड़ सकता है जो लगातार खाली हो रहे सरकारी खजाने पर 66 हजार करोड़ का अतिरिक्त बोझ डालेंगे।
समर्थन मूल्य
सपा ने वादा किया है कि वह अनाज के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 50 फीसदी बढ़ोतरी करेगी जिसका मतलब है कि गेहूं जैसी फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य 22 सौ रुपये प्रति क्विंटल हो जाएगा। इसका मतलब है कि प्रति क्विंटल एक हजार रुपये अतिरिक्त खर्च करना होगा। 2011-12 में प्रदेश सरकार ने 39 लाख टन गेहूं और 23 लाख टन चावल खरीदने की योजना बनाई है। इस हिसाब से नई सरकार को वादा निभाने के लिए 6 हजार करोड़ रुपये हर साल खर्च करने पड़ेंगे।
कर्ज माफी
मुलायम सिंह ने किसानों का 50 हजार रुपये तक का कर्ज माफ करने का वादा किया है। अगर नई सरकार इस वादे को निभाती है तो इसे एकमुश्त 11 हजार करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे।
मुफ्त बिजली
सपा ने किसानों और बुनकरों के लिए फ्री बिजली का वादा किया है। अगर नई सरकार ये वादा निभाती है तो उस पर हर साल करीब 1650 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। वित्त वर्ष 2009-10 में यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड को कृषि क्षेत्र से 1532.14 करोड़ बतौर मिला था। अगर सपा की सरकार इस सेक्टर के लिए बिजली मुफ्त करती है तो उसे सीधे-सीधे 1532.14 करोड़ रुपये से हाथ धोना पड़ेगा। वहीं, हथकरघा उद्योग से वित्त वर्ष 2009-10 में यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड को 118 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था और सरकार वादा निभाती है तो यह राशि भी नहीं मिलेगी।
मुफ्त सिंचाई
यूपी में फसलों की सिंचाई के लिए जरूरी पानी का 77 फीसदी हिस्सा निजी ट्यूब वेल से आता है। बचा हुआ 23 फीसदी पानी नहरों और सरकारी नलकूपों से आता है। आरबीआई के आंकड़ों की मानें तो वर्ष 2010-2011 में यूपी सरकार को सिंचाई से 589 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था। अगर इसे माफ किया जाता है तो इसका मतलब होगा नई सरकार को हर साल 589 करोड़ रुपये से हाथ धोना पड़ेगा।
लैपटॉप और टैबलेट
समाजवादी पार्टी ने इंटर पास छात्र-छात्राओं को लैपटॉप और हाईस्कूल पास को टैबलेट देने का ऐलान किया है। 2011 में 22.93 लाख छात्रों ने हाईस्कूल पास किया था और 15.90 लाख छात्रों ने इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। अगर लैपटॉप की कीमत 10 हजार रुपये प्रति लैपटॉप और टैबलेट की कीमत 1 हजार रुपये भी रखी जाए तो 1819 करोड़ रुपये छात्रों को हर साल लैपटॉप और टैबलेट देने पर खर्च करने पड़ेंगे।
बेरोजगारी भत्ता
सपा ने वादा किया है वे 25 साल से ज्यादा उम्र के बेरोजगारों को हर महीने 1000 रुपये बेरोजगारी भत्ता देंगे। पार्टी ने कहा है कि वे इस भत्ते के लिए 35 साल की अधिकतम उम्र की सीमा को भी बढ़ाएंगे। 2006 में मुलायम सिंह यादव ने 25 से 35 साल तक के स्नातक बेरोजगारों को 500 रुपये हर महीने बेरोजगारी भत्ते के तौर पर दिए थे। उस योजना का सालाना खर्च तब 500 करोड़ था।
अभी यह साफ नहीं है कि यह उम्र कितनी होगी। साथ ही प्रदेश में 35 साल से ज्यादा उम्र के कितने लोग बेरोजगार हैं, इसका भी कोई आंकड़ा नहीं है। लेकिन अगर मुलायम की पिछली सरकार को पैमाना मानें और बेरोजगारों की वही संख्या रखें तो बेरोजगारी भत्ते के तौर पर सरकार को हर साल करीब 1000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे।
समर्थन मूल्य
सपा ने वादा किया है कि वह अनाज के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 50 फीसदी बढ़ोतरी करेगी जिसका मतलब है कि गेहूं जैसी फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य 22 सौ रुपये प्रति क्विंटल हो जाएगा। इसका मतलब है कि प्रति क्विंटल एक हजार रुपये अतिरिक्त खर्च करना होगा। 2011-12 में प्रदेश सरकार ने 39 लाख टन गेहूं और 23 लाख टन चावल खरीदने की योजना बनाई है। इस हिसाब से नई सरकार को वादा निभाने के लिए 6 हजार करोड़ रुपये हर साल खर्च करने पड़ेंगे।
कर्ज माफी
मुलायम सिंह ने किसानों का 50 हजार रुपये तक का कर्ज माफ करने का वादा किया है। अगर नई सरकार इस वादे को निभाती है तो इसे एकमुश्त 11 हजार करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे।
मुफ्त बिजली
सपा ने किसानों और बुनकरों के लिए फ्री बिजली का वादा किया है। अगर नई सरकार ये वादा निभाती है तो उस पर हर साल करीब 1650 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। वित्त वर्ष 2009-10 में यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड को कृषि क्षेत्र से 1532.14 करोड़ बतौर मिला था। अगर सपा की सरकार इस सेक्टर के लिए बिजली मुफ्त करती है तो उसे सीधे-सीधे 1532.14 करोड़ रुपये से हाथ धोना पड़ेगा। वहीं, हथकरघा उद्योग से वित्त वर्ष 2009-10 में यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड को 118 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था और सरकार वादा निभाती है तो यह राशि भी नहीं मिलेगी।
मुफ्त सिंचाई
यूपी में फसलों की सिंचाई के लिए जरूरी पानी का 77 फीसदी हिस्सा निजी ट्यूब वेल से आता है। बचा हुआ 23 फीसदी पानी नहरों और सरकारी नलकूपों से आता है। आरबीआई के आंकड़ों की मानें तो वर्ष 2010-2011 में यूपी सरकार को सिंचाई से 589 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था। अगर इसे माफ किया जाता है तो इसका मतलब होगा नई सरकार को हर साल 589 करोड़ रुपये से हाथ धोना पड़ेगा।
लैपटॉप और टैबलेट
समाजवादी पार्टी ने इंटर पास छात्र-छात्राओं को लैपटॉप और हाईस्कूल पास को टैबलेट देने का ऐलान किया है। 2011 में 22.93 लाख छात्रों ने हाईस्कूल पास किया था और 15.90 लाख छात्रों ने इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। अगर लैपटॉप की कीमत 10 हजार रुपये प्रति लैपटॉप और टैबलेट की कीमत 1 हजार रुपये भी रखी जाए तो 1819 करोड़ रुपये छात्रों को हर साल लैपटॉप और टैबलेट देने पर खर्च करने पड़ेंगे।
बेरोजगारी भत्ता
सपा ने वादा किया है वे 25 साल से ज्यादा उम्र के बेरोजगारों को हर महीने 1000 रुपये बेरोजगारी भत्ता देंगे। पार्टी ने कहा है कि वे इस भत्ते के लिए 35 साल की अधिकतम उम्र की सीमा को भी बढ़ाएंगे। 2006 में मुलायम सिंह यादव ने 25 से 35 साल तक के स्नातक बेरोजगारों को 500 रुपये हर महीने बेरोजगारी भत्ते के तौर पर दिए थे। उस योजना का सालाना खर्च तब 500 करोड़ था।
अभी यह साफ नहीं है कि यह उम्र कितनी होगी। साथ ही प्रदेश में 35 साल से ज्यादा उम्र के कितने लोग बेरोजगार हैं, इसका भी कोई आंकड़ा नहीं है। लेकिन अगर मुलायम की पिछली सरकार को पैमाना मानें और बेरोजगारों की वही संख्या रखें तो बेरोजगारी भत्ते के तौर पर सरकार को हर साल करीब 1000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे।
लेबल: युद्ध naisansad sudheer paaak sudheer kumar, विधानसभा चुनाव, संसद, सुधीर
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