गुरुवार, 28 जुलाई 2011

लोकपाल मसौदा विधेयक के मुख्य बिंदु

चार दशक से भी अधिक समय के इंतजार के बाद मूर्त रूप लेने जा रहे लोकपाल विधेयक के मसौदे के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं...
1. प्रधानमंत्री और न्यायपालिका लोकपाल के दायरे में नहीं रहेंगे।
2. प्रधानमंत्री पदमुक्त होने के बाद लोकपाल के दायरे में आएंगे।
3. पद पर रहते हुए प्रधानमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार की कोई भी शिकायत सात साल तक मान्य रहेगी। शिकायत मिलने के सात वर्ष के भीतर अगर वह पदमुक्त होते हैं तो उनके खिलाफ जांच शुरू हो सकेगी।
4. संसद के भीतर सांसदों के आचरण को भी लोकपाल के दायरे से बाहर रखा गया है।
5. लोकपाल में एक अध्यक्ष और आठ अन्य सदस्य होंगे। इसके आधे सदस्य न्यायपालिका से होंगे।
6. लोकपाल को पदमुक्त होने के बाद कभी भी किसी भी दल से चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं होगा।
7. उच्चतम न्यायालय के किसी सेवारत या सेवानिवृत्त न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के कोई सेवारत या सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश को लोकपाल का अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
8. लोकपाल के सदस्य के रूप में नियुक्त होने वाले गैर-न्यायिक पृष्ठभूमि वाले लोगों के लिए पूरी तरह ईमानदार होना और प्रशासन में भ्रष्टाचार निरोधी निगरानी के काम का कम से कम 25 वर्ष का अनुभव होना जरूरी होगा।
9. लोकपाल को स्वत: संज्ञान के आधार पर निर्णय करने के अधिकार होंगे।
10. लोकपाल की निष्पक्षता बनाये रखने के लिए इसके सदस्यों में किसी भी राजनीतिक दल के लोगों को शामिल नहीं किया जाएगा।
11. लोकपाल का चयन प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति करेगी। इस समिति में लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा सभापति, लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता, कैबिनेट का एक सदस्य और उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालय के एक-एक न्यायाधीश शामिल रहेंगे।
12. लोकपाल को हटाने का अधिकार राष्ट्रपति के पास ही होगा। राष्ट्रपति की ओर से प्रधान न्यायाधीश को सिफारिश के लिए मामला भेजा जायेगा। अंतिम फैसला राष्ट्रपति का ही होगा।
13. लोकपाल को अपने कर्मचारियों-अधिकारियों का चयन करने के अधिकार होंगे।
14. लोकपाल के अधीन सीबीआई को नहीं रखा जाएगा, लेकिन वह सीबीआई के अधिकारियों की सेवाएं ले सकेगा।
15. लोकपाल को भविष्य में अभियोजन चल सकने वाले मामलों की जांच के लिए आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता और भ्रष्टाचार निरोधी कानून के तहत मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी।
16. लोकपाल को भ्रष्ट नौकरशाहों की संपत्ति जब्त करने का भी अधिकार होगा।

अन्ना का एतराज... 

अन्ना हजारे टीम के हिसाब से केंद्र द्वारा तैयार लोकपाल बिल ये नहीं कर सकेगा...
1. रिश्वतखोरी से दुखी आम आदमी की शिकायतें लोकपाल नहीं सुनेगा।
2. स्तर के अधिकारियों व कर्मचारियों के भ्रष्टाचार  की जन लोकपाल के दायरे में नहीं आएगी।
3. नगर निगम, पंचायत, विकास प्राधिकरणों का भ्रष्टाचार इसकी जांच के दायरे में नहीं आएगा।
4. राज्य सरकारों का भ्रष्टाचार इसके दायरे में नहीं आएगा।
5. प्रधानमंत्री, जजों और सांसदों का भ्रष्टाचार इसके दायरे में नहीं आएगा, यानि  २-जी, कैश फॉर वोट, कामनवेल्थ, आदर्श, येदुरप्पा, जैसे घोटाले इससे एकदम बाहर रखे गए हैं।
6. सात साल से पुराना कोई भी मामला इसकी जांच के दायरे में नहीं आएगा... अर्थात बोफोर्स, चारा घोटाला जैसा कोई भी घोटाला इसकी जांच के दायरे से पहले ही अलग कर  दिया गया है।
7. लोकपाल के सदस्यों का चयन प्रधानमंत्री, एक मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, प्रधानमंत्री द्वारा मनोनीत एक बुद्धिजीवी, एक ज्यूरिस्ट, के हाथ में होगा क्योंकि इसके चयन के लिए जो समिति बनेगी उसमें एक बाकी के एक दो लोगो और होंगे, और उनकी कौन सुनेगा?

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