गुरुवार, 24 मई 2012

जम्मू कश्मीर पर वार्ताकारों की रपट सार्वजनिक

जम्मू कश्मीर की समस्याओं को लेकर ठोस समाधान सुझाने के लिए केंद्र द्वारा नियुक्त तीन वार्ताकारों की रपट 24 मई, 2012 को सार्वजनिक कर दी गई। रपट में वार्ताकारों ने 1952 के बाद राज्य में लागू सभी केंद्रीय कानूनों और भारतीय संविधान के अनुच्छेदों की समीक्षा के लिए संवैधानिक समिति बनाने की सिफारिश की है।

पत्रकार दिलीप पडगांवकर, शिक्षाविद राधा कुमार और पूर्व सूचना आयुक्त एमएम अंसारी को केंद्र ने जम्मू कश्मीर समस्या के राजनीतिक समाधान पर सिफारिशें देने के लिए वार्ताकार नियुक्त किया था। वार्ताकारों की रिपोर्ट में ये बिंदु मुख्य रूप से सुझाए गए हैं....
  1.  राज्य विधानसभा राज्यपाल पद के लिए राष्ट्रपति को तीन नाम भेजे और राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति  करे।
  2. 1952 के दिल्ली समझौते के बाद राज्य से जुड़े भारतीय संविधान के अनुच्छेदों और केंद्रीय कानूनों की समीक्षा।
  3. राज्य को अनुच्छेद 371 के तहत विशेष दर्जा, जैसा अन्य कई राज्यों को है।
  4. अनुच्छेद 356 में कोई परिवर्तन नहीं, लेकिन यदि सरकार बर्खास्त होती है तो तीन महीने में चुनाव होने चाहिए।
  5.  आंतरिक आपातस्थिति में राज्य सरकार से पूर्व सलाह मशविरा करने की जरूरत।
  6.  जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के लिए तीन अलग अलग क्षेत्रीय परिषदें बनाने का सुझाव।
  7. रिषदों को विधायी, प्रशासनिक एवं वित्तीय अधिकार मिलें।
  8. तीन पहलू : राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक तथा सांस्कृतिक।
  9. राजनीतिक पहलू के दो पक्ष : केंद्र-राज्य संबंध और अधिकारों का आंतरिक हस्तांतरण।
  10. हथकरघा, बागवानी, फूल, जड़ी-बूटी और पर्यटन के प्रोत्साहन के लिए विशेष आर्थिक जोन बनें।
  11. पहाड़ी, सुदूरवर्ती, पिछड़े और प्रतिकूल मौसम वाली जगहों को विशेष विकास जोन बनाया जाए ताकि ऐसे इलाकों के लिए तय सरकारी सब्सिडी का फायदा वहां के लोगों को मिल सके।
  12. सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की अधिक सहभागिता। युवाओं पर विशेष ध्यान देने की जरूरत।
  13. नियंत्रण रेखा के दोनों ओर के लोगों के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान।
  14. विश्वास बहाली के उपाय और तेज करने की जरूरत। पथराव करने वाले उन युवकों को रिहा करने की सिफारिश, जिनके खिलाफ गंभीर आरोप नहीं हैं।
  15. अशांत क्षेत्र कानून को लेकर सतत समीक्षा की जरूरत। जनसुरक्षा कानून में बदलाव का सुझाव। सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (एएफएसपीए) पर विचार की आवश्यकता।
  16. नियंत्रण रेखा के आर-पार जनता के बीच सदभावपूर्ण रिश्ते बनाने के लिए निर्बाध आवाजाही की इजाजत दी जाए।
  17. एक सलाहकार तंत्र बनाने की आवश्यकता, जहां नियंत्रण रेखा के दोनों ओर के निर्वाचित प्रतिनिधि साझा हित से जुड़े मुददों पर बातचीत कर सकें।
  18. नियंत्रण रेखा को अप्रासंगिक बनाया जाए।

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