‘दागी’ की फिर सुरक्षा की कमान
सूबे की पूर्ववर्ती सरकार के सबसे ताकतवर अफसर शशांक शेखर सिंह के कथित चहेतों को हटाने के फेर में दिल्ली में राज्यपाल और मुख्यमंत्री सहित वीवीआईपी की सेवा व सुरक्षा की कमान नई राज्य सरकार ने फिर उसी दागी को सौंप दी है, जिसे कीमती सामानों की चोरी आरोपों में निलंबित किया गया था। राज्य सरकार ने इस दागी की तैनाती उत्तर प्रदेश सदन का प्रबंध अधिकारी पद देने के साथ ही प्रदेश भवन का अतिरिक्त कार्यभार भी सौंपा है।
दोनों अतिथि गृहों के तकरीबन आधा दर्जन अधिकारी व कर्मचारियों को लखनऊ में संपत्ति विभाग मुख्यालय से संबद्ध करने का आदेश भी दिया गया है। इनमें माया सरकार के ताकतवर अफसर की कृपापात्र दो महिला अधिकारी भी शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश सदन में दिल्ली प्रवास के दौरान राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्री और वरिष्ठ अफसरों क ी सुरक्षा, आवासीय एवं खानपान आदि की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इसकी मुख्य जिम्मेदारी राज्य संपत्ति विभाग के प्रबंध अधिकारी की होती है। शासन द्वारा शुक्रवार देर रात यह जिम्मेदारी राज्य संपत्ति विभाग के नसीम अख्तर को सौंपी है।
नसीम समाजवादी पार्टी के एक कद्दावर अल्पसंख्यक नेता के कृपापात्र हैं। इसी प्रभाव की बदौलत माया सरकार के पहले की सपा सरकार में नसीम को प्रदेश सदन के प्रबंध अधिकारी के पद पर तैनात किया गया था। तब नसीम ने सदन के फर्नीचर, कारपेट व अन्य कीमती साजसज्जा के सामान आदि में बड़ी हेराफेरी की थी। इसे लेकर भी वह कई बार विभागीय उच्चाधिकारियों के निशाने पर रहे।
वर्ष 2007 में बसपा सरकार बनने के बाद नसीम की कारगुजारियां सामने आर्इं। तत्कालीन राज्य संपत्ति सचिव अनूप चंद्र पांडेय ने मामले को गंभीरता से लिया और आरोप सही मानते हुए निलंबित करने के आदेश दे दिए। तत्कालीन निदेशक राज्य संपत्ति प्रभात मित्तल ने नई दिल्ली में यूपी सदन का मुआयना कर जांच रिपोर्ट शासन क ो सौंपी।
जब रिपोर्ट सामने आई तो शासन ने दिल्ली में तैनात अपर स्थानिक आयुक्त को पूरे प्रकरण की गहराई से जांच करने को कहा। साथ ही आरोपी प्रबंध अधिकारी के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने के आदेश भी दे दिए थे। अपर स्थानिक आयुक्त जांच रिपोर्ट में भी उप्र सदन से सामानों की हेराफेरी की पुष्टि हुई। नसीम पर सदन की व्यवस्था में शिथिलता बरतने और अधीनस्थों पर नियंत्रण न रखने के आरोपों की भी पुष्टि हुई। इसके बाद लगभग साढेÞ तीन वर्ष नसीम निलंबित रहे और राज्य सम्पत्ति विभाग के लखनऊ स्थित मुख्यालय से संबद्ध रहे।
सूत्रों का कहना है कि इस बीच नसीम ने जांच रिपोर्ट पर सख्ती से बचने के लिए सारी कवायद की और अंतत: निलंबन वापसी कराने में सफल रहे। बहरहाल, सपा सरकार बनते ही यह दागी अधिकारी दोबारा से सक्रिय हुआ। उधर, सपा सरकार के मंत्रियों-विधायकों ने शपथ ली और इधर नसीम ने उसी कद्दावर अल्पसंख्यक नेता के सहारे दोबारा यूपी सदन में तैनाती के आदेश करा लिए।
दोनों अतिथि गृहों के तकरीबन आधा दर्जन अधिकारी व कर्मचारियों को लखनऊ में संपत्ति विभाग मुख्यालय से संबद्ध करने का आदेश भी दिया गया है। इनमें माया सरकार के ताकतवर अफसर की कृपापात्र दो महिला अधिकारी भी शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश सदन में दिल्ली प्रवास के दौरान राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्री और वरिष्ठ अफसरों क ी सुरक्षा, आवासीय एवं खानपान आदि की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इसकी मुख्य जिम्मेदारी राज्य संपत्ति विभाग के प्रबंध अधिकारी की होती है। शासन द्वारा शुक्रवार देर रात यह जिम्मेदारी राज्य संपत्ति विभाग के नसीम अख्तर को सौंपी है।
नसीम समाजवादी पार्टी के एक कद्दावर अल्पसंख्यक नेता के कृपापात्र हैं। इसी प्रभाव की बदौलत माया सरकार के पहले की सपा सरकार में नसीम को प्रदेश सदन के प्रबंध अधिकारी के पद पर तैनात किया गया था। तब नसीम ने सदन के फर्नीचर, कारपेट व अन्य कीमती साजसज्जा के सामान आदि में बड़ी हेराफेरी की थी। इसे लेकर भी वह कई बार विभागीय उच्चाधिकारियों के निशाने पर रहे।
वर्ष 2007 में बसपा सरकार बनने के बाद नसीम की कारगुजारियां सामने आर्इं। तत्कालीन राज्य संपत्ति सचिव अनूप चंद्र पांडेय ने मामले को गंभीरता से लिया और आरोप सही मानते हुए निलंबित करने के आदेश दे दिए। तत्कालीन निदेशक राज्य संपत्ति प्रभात मित्तल ने नई दिल्ली में यूपी सदन का मुआयना कर जांच रिपोर्ट शासन क ो सौंपी।
जब रिपोर्ट सामने आई तो शासन ने दिल्ली में तैनात अपर स्थानिक आयुक्त को पूरे प्रकरण की गहराई से जांच करने को कहा। साथ ही आरोपी प्रबंध अधिकारी के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने के आदेश भी दे दिए थे। अपर स्थानिक आयुक्त जांच रिपोर्ट में भी उप्र सदन से सामानों की हेराफेरी की पुष्टि हुई। नसीम पर सदन की व्यवस्था में शिथिलता बरतने और अधीनस्थों पर नियंत्रण न रखने के आरोपों की भी पुष्टि हुई। इसके बाद लगभग साढेÞ तीन वर्ष नसीम निलंबित रहे और राज्य सम्पत्ति विभाग के लखनऊ स्थित मुख्यालय से संबद्ध रहे।
सूत्रों का कहना है कि इस बीच नसीम ने जांच रिपोर्ट पर सख्ती से बचने के लिए सारी कवायद की और अंतत: निलंबन वापसी कराने में सफल रहे। बहरहाल, सपा सरकार बनते ही यह दागी अधिकारी दोबारा से सक्रिय हुआ। उधर, सपा सरकार के मंत्रियों-विधायकों ने शपथ ली और इधर नसीम ने उसी कद्दावर अल्पसंख्यक नेता के सहारे दोबारा यूपी सदन में तैनाती के आदेश करा लिए।
लेबल: chief minister, naisansad, nasim akhtar
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