टिकट के लिए पत्र
गौरव त्रिपाठी
चुनाव की दस्तक होते ही राजनीतिक पार्टियों के हाईकमान में टिकट पाने के लिए नेताओं में होड़ मची हुई है। चुनाव प्रभारियों के पास इन दिनों टिकट मांगने वाले दावेदारों के पत्रों का ढेर लगा हुआ है। सभी उन्हें रिझाने में धन-बल से लगे हुए हैं। इनमें से एक पत्र पर मुझे प्राप्त हुआ है। जो कुछ इस प्रकार है- माननीय नेताजी जय भारत! सुना है कि मेरे क्षेत्र से चुनाव के लिए कई लोगों ने आपके सामने दावेदारी पेश की है, छोड़िए उनको। आप तो जानते ही हैं कि हमारा और आपका संबंध बहुत पुराना है। आज भी विधानसभा क्षे़त्र में आप गुंडों की जो दहशत देखते हैं वो मेरी वजह से ही है। उम्र चाहे जितनी भी हो गई हो, लेकिन क्षेत्र में दबंगई पूरी बरकरार है। आपके पिताजी और मैंने साथ साथ ही पहले अपराध और फिर राजनीति की दुनिया में कदम रखा। न जाने कितने खून, रेप, अपहरण, डकैतियां कीं। हमेशा थानों में बस रिपोर्ट दर्ज होकर रह गई। कभी पुलिस घर पर नहीं आ पाई। अब तो ये नए-नए बच्चे आ गए हैं, जो छोटे-मोटे टूजी स्पेक्ट्रम, कॉमनवेल्थ और काले धन जैसे घोटाले भी ठीक ढंग से नहीं कर पाते हैं। फंस जाते हैं और पार्टी का नाम खराब करते हैं। हमारे जमाने में तो सरकारी पैसा कब सरक कर जेब में पहुंच जाता था, पता ही नहीं चलता था। मुझे याद है भोपाल गैस कांड। कब कांड हुआ और कब वारेन एंडरसन देश छोड़कर सरकारी शानोशौकत के साथ चला गया, लोग आज तक असमंजस में हैं। चलिए खैर छोड़िए ये सब पुरानी बातें हैं। सुना है कि आप फिल्मी सितारों को टिकट देने में काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। अगर ऐसा है तो इस लिहाज से भी मै टिकट के लिए उपयुक्त हूं। अभी-अभी क्षेत्र में महाभारत की लीला शुरू हुई है। इसमें मैंने धृतराष्टज का रोल निभाया है। वैसे धृतराष्ट्र की भूमिका मेरे राजनीतिक जीवन में हमेशा रहती है। जनता जिए या मरे हम तो आंख बंद किए हुए बैठे रहते हैं। हमारे कौरव रूपी गुंडे शहर में दंगा कराने, लोगों में फूट डलवाने, जातिवाद फैलाने आदि में आगे रहते हैं। हम चुपचाप कौरव और पांडवों के जुंए के खेल में मनमानी और ज्यादतियों को देखते रहते हैं। जनता रूपी द्रौपदी का चीरहरण होता रहता है और हम आनंद लेते रहते हैं। द्रौपदी तो पहले से ही पांचाली थी, कुछ लोगों ने और उसे निर्वस्त्र कर दिया तो इसमें मेरा क्या दोष! इसके अलावा रामलीला में रावण का रोल तो मेरे सिवा कोई कर नहीं पाता। जो भी चीज मुझे पसंद आती है, चाहे वो माता सीता हो या गरीबों की झोपड़ियां। उन्हें तुड़वाकर उन पर कब्जा कर लेता हूं। हर बार की तरह इस बार भी लोगों को रोटी, कपड़ा, मकान की गुगली दे रखी है। सारे मुसलिम और हिंदू वोट मेरी जेब में हैं। इसलिए उम्मीद करता हूं कि हर बार की तरह इस बार भी आप मुझे ही टिकट देंगे। चुलबुल पांडे हुड़-हुड़ दबंग...व्यंग्यकार 'अमर उजाला' से जुड़े हैं
2 टिप्पणियाँ:
Ab sansad hum chunege ....Yani gaira aaya aur loot kar chala gaya ...??Ab hum chup rahege ??
Jinko Aana hai aaye .. Humko Kya ??
In longo ne hamaare Logo ko samjha kya hai ..
Humne Ek Joke chala Rakha hai Ki Cricket Kai Kapan Dhani , Bhi congress ko nahi bacha sakenge , Mamata Jee kya kahtee hai ? sirf abhi mere pass 2 naam hee aaye hai ...??
"Sansad Hum chunege "
एक टिप्पणी भेजें
सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें [Atom]
<< मुख्यपृष्ठ