गुरुवार, 17 नवंबर 2011

अमिट छाप छोड़ गया केबीसी

सुधीर कुमार

रचनात्मकता, व्यावसायिकता, प्रतिभा, आकर्षण, मनोरंजन, ग्लैमर, सम्मान और भी बहुत कुछ। वाकई, कौन बनेगा करोड़पति का यह पांचवां संस्करण शानदार रहा। बिल्कुल नए दौर में खींच ले गया सबको। खास बात यह रही कि इस संस्करण में दर्शकों ने एक व्यक्ति को आम आदमी से खास आदमी बनने तक के सफर को देखा। शो के प्रस्तोता महानायक अमिताभ बच्चन की सादगी और रचनात्मकता ने, जिन्होंने इस शो का कोेई भी एपिसोड देखा, को उन पर फिदा होने पर मजबूर कर दिया। अमिताभ कुछ ऐसी ही उम्मीद भी लगाए हुए थे।
सोनी टीवी के मल्टीस्क्रीन मीडिया के सीईओ मंजीत सिंह ने इस महा शो की शुरुआत मौके पर कहा भी था कि कौन बनेगा करोड़पति का यह संस्करण निश्चित ही लोगों के लिए अलहदा अहसास होगा। और ऐसा हुआ भी। तब किसको पता था कि महज छह हजार रुपये महीने की पगार पाने वाले बिहार के सुशील कुमार इस शो के महाविजेता बनेंगे। सुशील इस टेलीविजन शो के जरिए पांच करोड़ रुपये की राशि जीतने के बाद वह प्रशासनिक सेवा की तैयारी करने की ख्वाहिश रखते हैं। कौन बनेगा करोड़पति के अब तक के सभी संस्करणों में निर्धारित सर्वाधिक इनाम जीतने वाले सुशील एकमात्र पहले ऐसे प्रतिभागी हैं। सिर ढकने के लिए मजबूत छत से महरूम सुशील आज मनरेगा के ब्रांड एंबेसेडर बन गए हैं। सुशील के लिए यह किसी सपने से कतई कम नहीं है। कौन बनेगा करोड़पति ने उन्हें एक ऐसा प्लेटफार्म दिया है कि जिससे वह देश भर में एक बड़ी योजना का नेतृत्व करेंगे। उमर भर के लिए सुशील के लिए यह यादगार लम्हा लगेगा। सुशील जब हॉट सीट पर बैठे, तो अमिताभ के हरेक सवाल का उत्तर देने के बाद उन्होंने अपने परिजनों की ओर देखा। वहां उनकी पत्नी भी मौजूद थीं। हर सीढ़ी चढ़ने के बाद जब सुशील ने जब भी अपने पिता और भाई की ओर देखा, उनके इस लगाव और निष्ठा से लोग उनके और शो के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ते गए। और यही इस शो के पूरे संस्करण का अहम पहलू रहा। इसके पहले मुंबई के हर्षवर्धन नवाथे और झारखंड की राहत तस्लीम ने एक करोड़ रुपये की राशि जीती थी।
केबीसी का यह संस्करण अपने पिछले संस्करणों की अपेक्षा इस बार और अधिक सादगी भरा रहा। महानायक की पूरे संस्करण के दौरान सबसे अहम बात रही कि उन्होंने शो के दौरान हर समय सजीवता बनाए रखी। दर्शकों का मनोरजंन किया, हिम्मत बंधाई और हॉट सीट पर बैठा प्रतिभागी जब भी बेचैन दिखा तो अमिताभ उसे ऐसी अवस्था से बाहर लाते दिखे। निश्चय ही अमिताभ की आभा ने इस खेल को बखूबी गरिमा प्रदान की है।

...और विदा हुए बिग बी
इसी मंच से मेल हुआ था और इसी मंच से विदा ले रहा हूं। यहां इस शो की ही चीज बात करना चाहती है। हर चीज बात करती है। बस यही ख्वाहिश है कि भारत यूं ही विकास के पथ पर आगे बढ़ता रहे। और इस विकास में देश ‘80 प्रतिशत’ को पीछे नहीं छोड़ें। उसे साथ लेकर चलें। हम अपने आसपास सबके हक की बात करें। सबको योग्यता के अनुसार सम्मान मिले। उनकी क्षमता के अनुसार उन्हें हक मिले। यह पूरी कोशिश करें कि हम सभी को साथ लेकर चलें। सही मायने में यही विकास है। और यही उद्देश्य होना चाहिए।