बुधवार, 9 मई 2012

बढ़ता तापमान कर देगा गेहूं की खेती को बीमार

देश का औसत तापमान 2098 तक 3.5 डिग्री सेल्सियस से लेकर 4.3 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है। इससे जहां गेहूं की खेती पर बुरा असर पड़ सकता है, वहीं मलेरिया के तेजी से फैलने की भी संभावना है। यह बात संयुक्त राष्ट्र को भेजी गई भारतीय रिपोर्ट में कही गई।
यूएन फ्रेमवर्क कनवेंशन आन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसी) को भेजी गई दूसरी रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन का जल, कृषि, वानिकी, प्राकृतिक पर्यावास, समुद्र तटीय क्षेत्र, मानव स्वास्थ्य तथा अन्य क्षेत्रों पर 1961 से 2098 के दौरान पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बताया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय उपमहाद्वीप में तापमान बढ़ने का अनुमान है और इस शताब्दि के आखिर तक इसमें 3.5 से 4.3 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि हो सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक तापमान में एक फीसदी वृद्धि का गेहूं की खेती पर अधिक असर नहीं पड़ेगा और मौसम के मुताबिक बुआई के थोड़ा आगे-पीछे खिसकाने या सही नस्ल के चुनाव से अनुकूलन स्थापित किया जा सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि इस रणनीति का लाभ हालांकि तापमान के पांच फीसदी तक बढ़ जाने तक धीरे-धीरे घटता जाएगा और शताब्दी के आखिर तक गेहूं की उपज में सलाना 2.75 करोड़ टन की गिरावट आ सकती है। वर्ष 2011-12 में देश में 8.83 करोड़ टन गेहूं की उपज हुई थी। इसलिए 2.75 करोड़ टन गिरावट का अर्थ है एक चौथाई से अधिक की गिरावट।
जलवायु परिवर्तन के अन्य प्रभावों में रिपोर्ट में कहा गया कि देश के उत्तरी राज्यों और मुख्यत: कर्नाटक सहित कुछ दक्षिणी हिस्सों में मलेरिया का तेजी से प्रसार हो सकता है।