रविवार, 31 जुलाई 2011

हंगामा-ए-सत्र के आसार

लंबे समय बाद बुलाए गए भारतीय संसद का मानसून सत्र 1 मार्च से शुरू हो रहा है। आठ सितंबर तक चलने वाले इस सत्र में भ्रष्टाचार, टूजी स्पेक्ट्रम मामला और राजा द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व गृहमंत्री पी चिदंबरम को इसमें लपेटने सहित कई मुद्दों पर सरकार को घेरने के लिए विपक्ष पूरी ताकत लगा देगा। वहीं, सरकार इन मुद्दों के बीच खुद को बचाते हुए लंबित विधेयकों को पारित कराने की जुगत में रहेगी। बहरहाल, संसद के इस मानसून सत्र के काफी हंगामेदार होने के पूरे संकेत हैं।
संसद के मानसून सत्र में सरकार 32 नये विधेयक पेश करने जा रही है जिसमें बहुचर्चित लोकपाल विधेयक के अलावा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक, मनी लॉन्डिंग (संशोधन) विधेयक और रेल यात्रियों की सुरक्षा विधेयक भी शामिल हैं, जबकि इस सत्र के दौरान तीन दर्जन से अधिक अन्य लंबित बिलों को भी विचार और पारित करने के लिए कार्यसूची में शामिल किया गया है।

प्रस्तुति के लिए विधेयक
1. लोकपाल विधेयक, 2011
2. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक, 2011
3. मादक पदार्थ और मन: प्रभावी पदार्थ (संशोधन) विधेयक, 2011
4. मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक (संशोधन) विधेयक, 2011
5. बेनामी लेनदेन (निषेध) विधेयक, 2011
6. संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2011
7. महिलाओं के अश्लील प्रस्तुतीकरण (निषेध) संशोधन विधेयक, 2011
8. कृषि जैव - सुरक्षा विधेयक, 2011
9. परमाणु विनियामक प्राधिकरण विधेयक, 2011
10. भारतीय जैव प्रौद्योगिकी नियामक प्राधिकरण विधेयक, 2011
11. जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्रीय केंद्र विधेयक, 2011
12. इलेक्ट्रॉनिक सेवा अंतरण विधेयक, 2011
13. भंडारण निगम (संशोधन) विधेयक, 2011
14. कंपनी (संशोधन) विधेयक, 2011
15. वन्य जीव (संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2011
16. भारतीय डाक टिकट (संशोधन) विधेयक, 2011
17. राष्ट्रीय मानव संसाधन स्वास्थ्य आयोग विधेयक, 2011
18. सीमा शुल्क कानून (संशोधन और विधिमान्यकरण) विधेयक, 2011
19. सीमा सुरक्षा बल (संशोधन) विधेयक, 2011
20. राष्ट्रीय अकादमिक डिपॉजिटरी (संशोधन) विधेयक, 2011
21. राष्ट्रीय उच्च शिक्षा और शोध परिषद विधेयक, 2011
22. नवप्रवर्तन विश्वविद्यालय विधेयक, 2011
23. प्रेस तथा पुस्तक और प्रकाशन पंजीकरण विधेयक, 2010
24. अंतर राज्यीय प्रवासी कामगार (रोजगार और सेवा शर्त विनियमन) (संशोधन) विधेयक, 2011
25. प्रशासक जनरल (संशोधन) विधेयक, 2011
26. खान और खनिज (विकास और विनियमन) विधेयक, 2011
27. उत्प्रवास प्रबंधन विधेयक, 2011
28. दामोदर घाटी निगम (संशोधन) विधेयक, 2011
29. यात्री सुरक्षा विधेयक, 2011
30. राजीव गांधी राष्ट्रीय युवा विकास संस्थान विधेयक, 2011
31. राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक, 2011
32. भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन से संबंधित विधेयक

विचारार्थ और पारित करने के लिए विधेयक
1. बीज विधेयक, 2004
2. भारतीय स्टेट बैंक (सहायक बैंक कानून) संशोधन विधेयक, 2009
3. मानव अंग प्रत्यारोपण (संशोधन) विधेयक, 2009
4. उड़ीसा (नाम में परिवर्तन) विधेयक, 2011 (राज्य सभा द्वारा संशोधनों के साथ प्रेषित)
5. बच्चों के नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2010
6. प्रसार भारती (भारतीय प्रसारण निगम) संशोधन विधेयक, 2010
7. रेलवे संपत्ति (अवैध कब्जा) संशोधन विधेयक, 2008
8. वैज्ञानिक और नवप्रर्वतन अनुसंधान अकादमी विधेयक, 2010
9. किशोर न्याय (देखभाल और बाल संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2010
10. रासायनिक हथियार कंबेंशन (संशोधन) विधेयक, 2010
11. मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, 2007

वित्तीय कामकाज
1. वर्ष 2011-2012 के लिए प्रथम (सामान्य) अनुदान के अनुपूरक मांगों पर चर्चा और मतदान
2. 2011-12 के लिए रेल के अनुपूरक अनुदान मांगों पर चर्चा और मतदान

 जनवाणी डेस्क 

गर्व से कहो, हम हैं हिंदुस्तानी

हमें हिंदुस्तानी होने का गर्व महज यूं ही नहीं है। हम भारतीय हर काम और क्षेत्र में अपनी अलहदा पहचान बनाने में बखूबी कामयाब होते रहे हैं और यह सिलसिला आगे भी बरकरार है। अब लगभग डेढ़ साल पहले से दुनिया भर में फैली मंदी को ही ले लीजिए। इसकी चपेट से दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमेरिका अब तक नहीं उबर पाया। कंपनियों में छंटनी का ग्रहण लग गया। बावजूद इसके हमारे हिंदुस्तानी बाजार में रोजगार की भरपूर उम्मीदें बरकरार हैं।
हम बात कर रहे हैं सख्त कारोबारी माहौल में भारतीय रोजगार बाजार की, खासकर खुदरा क्षेत्र में नौकरियों की उम्मीदों पर। सच यह है कि भारतीय बाजार में खुदरा क्षेत्र की कंपनियां नई नियुक्तियों को लेकर बेहद उत्साहित हैं। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि कंपनियां बड़ी संख्या में नियुक्तियां करने के बजाय सही प्रतिभा पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। मानव संसाधन उपलब्ध कराने वाली फर्म मा फोई रैंडस्टैड के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ ई. बालाजी कहते हैं कि भारत अभी तक दुनियाभर में छंटनी के दौर से अछूता है। ज्यादातर छंटनी विकसित देशों में की जा रही है।
बालाजी बताते हैं कि भारतीय रोजगार बाजार नियुक्तियों को लेकर अपेक्षाकृत सतर्क है। अनुमान के मुताबिक देश में हर साल तकरीबन 15 लाख नई नौकरियां पैदा हो रही हैं। हालांकि, यह संख्या रोजगार बाजार में हर साल उतरने वालों की संख्या से काफी कम है। वैश्विक एचआर फर्म हे ग्रुप के मयंक पांडे ने कहा कि नियुक्ति गतिविधियां अब भी जोरों पर हैं, जिसमें खुदरा क्षेत्र में बहुत तेजी से रोजगार के अवसर पैदा होने की संभावना है। कंपनियां सही प्रतिभा हासिल करने को लेकर अधिक गंभीर हैं। कई कंपनियां कम संख्या में प्रभावशाली लोगों को नौकरी पर रखने की संभावना तलाश रही हैं।
विभिन्न पहलुओं पर कर रहीं गौर
विशेषज्ञों ने कहा कि वैश्विक संकट (2007-08) से पहले कंपनियां किसी भी कीमत पर लोगों को नौकरी पर रखने को तैयार थीं, लेकिन अब कंपनियां भर्ती करने से पहले खर्चों सहित विभिन्न कारकों पर गौर कर रही हैं। पांडे ने कहा कि रक्षा, अतिथि आवभगत, परमाणु ऊर्जा और खुदरा जैसे क्षेत्रों में आगामी वर्षों में नियुक्ति गतिविधियों में तेजी आने की संभावना है।
10 भारतीय संभाल रहे  400 अरब डालर से अधिक का कारोबार
भारतीय मूल के लोगों का बहुराष्ट्रीय कंपनियों में दबदबा तेजी से बढ़ रहा है और 10 भारतीय 400 अरब डालर से अधिक का कारोबार संभाल रहे हैं। सिटीग्रुप, ड्यूश बैंक, पेप्सिको, यूनिलीवर, एडोब, मास्टरकार्ड और मोटोरोला जैसी दिग्गज बहुराष्ट्रीय कंपनियों की कमान भारतीय मूल के लोगों के हाथ में है। टाइम्स पत्रिका ने हाल ही में भारत को सीईओ का अग्रणी निर्यातक बताते हुए कहा कि यह देश वैश्विक आकाओं के लिए एक आदर्श प्रशिक्षण स्थल हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीयों में कठिन परिस्थितियों में काम करने की गजब की क्षमता है। भारतीय मूल के व्यक्ति को प्रबंधन की अहम जिम्मेदारी देने वाले संस्थानों में जर्मनी का सबसे बड़ा बैंक ड्यूश बैंक भी शामिल हो गया है, जिसने अंशु जैन को अपना सह मुख्य कार्याधिकारी नियुक्त किया है।वहीं, भारतीय मूल के विक्रम पंडित ने 111 अरब डालर के सिटीग्रुप को वैश्विक आर्थिक संकट से उबारा। इनके अलावा, इंद्रा नूई, लक्ष्मी मित्तल, अजय बंगा, संजय झा, शांतनु नारायण, राकेश कपूर, हरीश मनवानी और अजीत जैन उन लोगों में शामिल हैं जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों का नेतृत्व कर रहे हैं। इन दस लोगों की अगुवाई वाली कंपनियों ने बीते साल 410 अरब डालर मूल्य का कारोबार किया।