पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव परिणाम का देश की राष्ट्रीय राजनीति पर गंभीर प्रभाव पड़ना लगभग तय है। इस संदर्भ में पहला घमासान 30 मार्च को होने वाले राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव में देखने को मिलेगा, जिसकी अधिसूचना 12 मार्च को जारी की जाएगी। इसके बाद राजनीतिक दलों का घमासान राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव में सामने आएगा। वर्तमान राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का कार्यकाल 24 जुलाई 2012 को समाप्त हो रहा है। संसद सदस्यों के साथ राज्य विधानसभा सदस्यों का राष्ट्रपति चुनाव में अहम योगदान होता है।
राजनीतिक समीकरणों का महत्व इसी साल होने वाले उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में भी सामने आएगा। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का कार्यकाल 10 अगस्त 2012 को समाप्त हो रहा है। पांच राज्यों में इन चुनाव नतीजों का प्रभाव इस वर्ष के अंत में गुजरात एवं हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है। दोनों राज्यों में भाजपा सत्ता में है। गुजरात विधानसभा का कार्यकाल 17 जनवरी 2013 को समाप्त हो रहा है जबकि हिमाचल प्रदेश विधानसभा का कार्यकाल 10 जनवरी 2013 को समाप्त हो रहा है। देश के 15 राज्यों आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, बिहार, झारखंड, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और राजस्थान से राज्यसभा के 58 सदस्यों का कार्यकाल अप्रैल में समाप्त हो रहा है। जिन प्रमुख नेताओं का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, उनमें राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली, कांग्रेस नेता राशिद अल्वी, राजद के राजनीति प्रसाद, भाजपा के रविशंकर प्रसाद, भाजपा की हेमा मालिनी और राज्यसभा के उपसभापति के रहमान खान प्रमुख हैं। इसके साथ ही शिवसेना के मनोहर जोशी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री विलासराव देशमुख, संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला, कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी, भाजपा के कलराज मिश्रा, विनय कटियार, बसपा के नरेश चंद्र अग्रवाल, तृणमूल कांग्रेस के मुकुल राय का भी कार्यकाल समाप्त हो रहा है।
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