शुक्रवार, 16 मार्च 2018

मत बनकर रहो 'तीन बंदर'

सुुध्‍ाीर कुमार
चपरासी से लेकर अफसर और संतरी से लेकर मंत्री तक भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबा है। किसी न किसी रूप में हर आदमी भ्रष्टाचार और भ्रष्ट तंत्र से पीड़ित है। साथ ही वह इस ‘अंग’ का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हिस्सा भी है। वर्तमान में भारत इस विकराल समस्या से जूझ रहा है। राजनीतिक-प्रशासनिक क्षेत्र पर कब्जा जमाकर भ्रष्टाचार अब सामाजिक क्षेत्र में भी जड़ें पसार चुका है। यहां तक कि आदमी की जीवनशैली में शुमार हो गया है भ्रष्टाचार। अब हमें यह चौंकता नहीं। रिश्वत लेते या देते समय आदमी को अब लज्जा नहीं आती।
दरअसल, यह हालात कोई एक-दो दिन या कुछ सालों में पैदा नहीं हुए हैं। यह सदियों पुरानी सत्ताधारियों की पथभ्रष्ट बेहूदा राजनीति के दुष्चक्र का प्रभाव है।

आज भारत में भ्रष्टाचार चरम पर है। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जिसमें यह घर नहीं कर गया हो। अब यहां एक बात गौर करने लायक है कि किसी भी समाज या देश की रीढ़ उसकी आथिक सुदृढ़ता होती है। और ऐसे में पूरी संभावना रहती है कि आदमी अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए कोई (!) भी तौरतरीका अपनाने से गुरेज नहीं करना चाहेगा। दूसरी बात यह कि हमेशा से ही भ्रष्टचार का संबंध राजनीति, प्रशासन, सत्ता और साथ ही व्यापार से रहा है। समाज के परिपक्व होने के साथ-साथ इनका रिश्ता कमजोर नहीं, वरन और भी अधिक प्रगाढ़ होता गया है।

शुरूआत की बात पर फिर लौटते हैं। भ्रष्टाचार आज इस कदर पसर चुका है कि यह जीवन में उतना ही जरूरी महसूस किया जाना लगा है कि जितना कि आक्सीजन। नजर पसारें तो अस्पताल, थाना, बैंक, स्कूल, कालेज, नौकरी, सरकारी दफ्तर, राशन की दुकान, परिवहन आखिर कहां नहीं है भ्रष्टाचार। अस्पताल में करीबी को भर्ती कराना हो तो रिश्वत, ड्राइविंग लाइसेंस बनवानी हो तो रिश्वत, बर्थ सर्टिफिकेट बनावाना हो तो रिश्वत, मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए रिश्वत, बिजली-पानी कनेक्शन कराना है तो रिश्वत, घर बनावाने के लिए प्लान पास करवाना हो तो रिश्वत दिए बिना फाइल आगे बढ़ेगी ही नहीं। इन सबसे हर आदमी का रोजाना वास्ता पड़ता है।

भ्रष्टाचार का यह रूप महज एक निचले स्तर का है। इस स्तर को बगैर दृढ़ इच्छाशक्ति के बूते रोक पाना कतई संभव नहीं है। लेकिन जो ‘भ्रष्ट सांप’ सिस्टम (तंत्र) में कुंडली मारे बैठे हैं, उनका सफाया करना इतना आसान नहीं जितना कि हम सोचते हैं। ये ‘सांप’ सिस्टम (प्रशासनिक और राजनीतिक) में सुनियोजित तरीके से रेंगते हैं। इसकी भनक आम आदमी को लगती तो नहीं है, बल्कि असर जरूर होता है। अब टूजी स्पेक्ट्रम मामले हो ही ले लीजिए। 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये का घोटाला।  ऐसे सिस्टेमिक भ्रष्ट तंत्र को गला पाना तभी संभव है, जब दुनिया के सबसे बड़े इस लोकतंत्र की पिलपिली प्रक्रिया को दुरुस्त किया जाए। पूरे परिदृश्य को देखते हुए यह कहना कतई गुनाह नहीं होगा कि गांव में राशन दुकान से लेकर लोकसभा तक एक नया भ्रष्ट समाज (!) पैदा हो गया है।

और वैसे भी भारत अतुल्य देश है। यहां के लोग गांधीजी के तीन बंदरों में विश्वास रखते हैं। हालत यह है कि सभ्य लोग (!) उन तीन बंदरों की तरह बनकर रह गए हैं। यह हमारा मामला नहीं है और बस हमारा काम तो हो गया, की तर्ज पर आंख मूंदकर रास्ता बदल लेते हैं। तय करना होगा कि क्या वह आने वाली पीढ़ी को भ्रष्ट समाज में ही पालना चाहते हैं? दरअसल, कोई पूरी एक पीढ़ी को ही तय करना होगा कि क्या वह गांधीजी के ‘तीन बंदर’ की तरह बनकर रहना चाहती है? और फिर वह दूसरी आजादी (भ्रष्टाचार से लड़ने) के लिए अपनी किस पीढ़ी को कुर्बान करना चाहती है, फैसला आपके हाथ…

मंगलवार, 17 जनवरी 2017

औरत सिर्फ विडंबना नहीं

सुधीर कुमार

इस भौतिकवादी युग में
जहाँ आम आदमी बेदखल है
हर जगह से
ऐसे में आम औरत की
बिसात ही क्या है
वह तो यूँ ही हाशिये पर रही है..

हाँ स्त्री विमर्श का दौर
इन दिनों चला है कहीं- कहीं
पर विडंबना
कि यह विमर्श स्त्री कम
दैहिक अधिक रहता है
मानो स्त्री मात्र देह ही हो..

नाजुक है स्त्री की व्यथा
उबलते हैं इनके जिंदा सवाल
जरूरत है इन्हे परखने की
सूक्ष्म और संवेदनशली नजरिये से
औरत सिर्फ़ एक विडंबना नहीं
इसका दायरा ज्यादा व्यापक और सामाजिक है..

लेबल:

चुनावी दौरा

सुधीर कुमार

पांच साल के बाद, फिर गांव में दौड़ी कार!
लेकर संग चेलों को, नेताजी पहुंचे द्वार!!
नेता पहुंचे द्वार, खबर सुख-दुख की ले डाली!
हम वोटर के घर में, नहीं है फूटी प्याली!!
हाथ जोड़ नेताजी बोले, रखो हमारा ध्यान!
प्याली की तो बात दूर है, मिलेगा राशन-धान!!
चेलों की मुस्कान देखकर, वोटर कुछ संकुचाया!
पिछली बार भी वादा किया था, कार्ड नहीं बन पाया!!

लेबल:

रविवार, 30 दिसंबर 2012

वे बोले, और हंगामा

बीते साल हमारे देश के तमाम राजनेताओं की जुबान फिसली... एक बार नहीं बार-बार फिसली... छुटभैये तो छोड़ो दिग्गज भी, यहां तक कि प्रधानमंत्री तक अपनी जुबान नहीं संभाल पाए... और ऐसा बोल गए कि हंगामा हो गया... हो-हल्ला इतना हुआ कि निकलना मुश्किल हो गया, और निकले भी तो राह बदलकर... लेकिन, उनके बयान इतिहास में दर्ज हो गए... अब साल बीत गया है... अब हम उन बयानों की याद दिलाना चाहते हैं, जिन्होंने भारतीय राजनीति में खूब हंगामा किया... यहां तक कि इसे प्रभावित भी किया, पेश है बयानों का संक्षिप्त संग्रह...

यह मुंह खोले तो झूठ निकले

यह मुंह खोले तो झूठ निकले। यह किसके बारे में झूठ बोलता है?... यह आपके बारे में झूठ बोलता है। यूएस की कंपनी को 25 हजार डॉलर प्रतिदिन के हिसाब से दिए गए... गुजरात में केवल आधा फीसदी विकास हुआ है। नरेंद्र मोदी ने अपनी छवि(?) बनाने के लिए गुजरात के लोगों की खून-पसीने की कमाई एक अमेरिकी कंपनी को दी ताकि वह अपनी अच्छी छवि दिखा सकें। मोदी विकास पुरुष नहीं, बल्कि लहू पुरुष है। उनकी बुद्धि क्षमता माफिया डॉन दाऊद जैसी है।
मणिशंकर अय्यर, वरिष्ठ कांग्रेस नेता
नई दिल्ली में 10 नवंबर, 2012
(2008 में मणिशंकर अय्यर ने मोदी की तुलना हिटलर से की थी। तब खूब बवाल मचा था। मणिशंकर अय्यर ने कहा था कि 2002 के दंगों के दौरान अल्पसंख्यकों पर जुल्म ढाने के लिए बेरोजगार गरीबों को आगे कर दिया गया।)


मैं डेंगू मच्छर हूं
मैं डेंगू का मच्छर हूं। मैं कांग्रेस तथा भाजपा को काटूंगा। फिर ये सब मुश्किल में पड़ जाएंगे।
अरविंद केजरीवाल, इंडिया अगेंस्ट करेप्शन
नई दिल्ली में 10 नवंबर, 2012
(कानून मंत्री रहने के दौरान सलमान खुर्शीद ने भ्रष्टाचार मामले में अरविंद केजरीवाल का हमला मच्छर काटने जैसा बताया था।)


राम बुरे पति, लक्ष्मण और भी बुरे
भगवान राम बुरे पति थे। मैं राम को किसी भी तरह से पसंद नहीं करता। कुछ मछुआरों ने क्या कह दिया कि उन्होंने एक बेचारी महिला सीता को वनवास के लिए भेज दिया। लक्ष्मण तो राम से भी दो कदम आगे निकले। वह राम से भी अधिक बुरे थे। जब राम ने लक्ष्मण से सीता को खोजने के लिए कहा तो उन्होंने अजीब दलील दी कि सीता तो उनकी भाभी हैं। उन्होंने कभी उनके चेहरे की तरफ देखा ही नहीं। तब उन्हें पहचानेंगे कैसे और फिर उनको खोजेंगे कैसे?
अधिवक्ता राम जेठमलानी, वरिष्ठ भाजपा नेता
नई दिल्ली में 08 नवंबर, 2012 को महिला-पुरुष संबंधों पर किताब के विमोचन मौके पर


बड़े नेता खाली लफ्फाजी करते
दिल्ली में बैठे कांग्रेस के बड़े नेताओं की दुकान चकाचक चल रही है। कोई मंत्री बने बैठा है, तो कोई सांसद। हमारे बड़े नेता खाली लफ्फाजी करते हैं कि मिशन-2013 में हम जीतेंगे। लेकिन इन नेताओं को जमीनी हकीकत का पता नहीं है। जब इन्हें मध्य प्रदेश की खाक छानने के लिए कहा जाता है, तो वे एसी से बाहर कदम नहीं रखते। इन नेताओं की दुकान जल्द ही बंद होने वाली है। बस 2013 का इंतजार कीजिए। कांग्रेस कठिन दौर से गुजर रही है। इसके बावजूद हमारी पार्टी के बड़े नेता मुगालते में है। बीजेपी की स्थिति भी अच्छी नहीं है। उसके भी सब नेता बोगस हैं, लेकिन उन्हें आरएसएस का सपोर्ट है। आरएसएस के कार्यकर्ता गांव-देहात में चने खाकर भी मिशन 2013 के लिए जुट सकते हैं, जबकि हमारे नेता एसी से बाहर नहीं निकलते हैं।
सज्जन सिंह, कांग्रेस सांसद, देवास (मध्यप्रदेश)
नीमच में एक सभा के दौरान 10 नवंबर, 2012


सोनिया गांधी राष्ट्रमाता
जिस तरह महात्मा गांधी ने बड़े से बड़े पद स्वीकार नहीं किए, उसी तरह सोनिया गांधी जी ने भी प्रधानमंत्री का पद ठुकरा दिया। सास इंदिरा गांधी और इसके बाद पति राजीव की मौत के बाद उन्होंने पार्टी को संभाला। यदि महात्मा गांधी राष्ट्रपिता हैं तो सोनिया गांधी राष्ट्रमाता हैं।
कांतिलाल भूरिया, कांग्रेस सांसद, मध्यप्रदेश
अपने बयान पर कायम


बंदर पेड़ पर बैठा है
नरेंद्र मोदी दिन शुरू होते ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को खुद के खिलाफ चुनाव लड़ने और जीत कर दिखाने की चुनौती देने लगते हैं। (एक कहानी के जरिए नरेंद्र मोदी पर चुटकी लेते हुए) ...बंदर पेड़ पर बैठा है। ऊपर बैठे-बैठे शेर को चुनौती देता रहता है, लेकिन नीचे नहीं उतरता। बंदर पेड़ पर बैठे-बैठे ही केशूभाई (केशूभाई पटेल) सरीखे पक्षियों को उड़ा कर मौज में रहता है। लेकिन शेर नीचे होने की वजह से वह उतर नहीं सकता।
अर्जुन मोढवाडिया, गुजरात कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष
चुनाव अभियान के दौरान सुरेंद्रनगर में, 08 नवंबर, 2012


...और एक यह चूहा
नरेंद्र मोदी खुद की तुलना सरदार बल्लभ भाई पटेल से करते हैं और खुद को पटेल बताते हैं। एक और वो पटेल साहब थे, जिन्होंने देश को जोड़ने का काम किया और एक और यह चूहा है जो देश को तोड़ने का काम कर रहा है।
हुसैन दलवी, कांग्रेस सांसद
चुनावी भाषण के दौरान


केवल बड़े घरों लड़कियां...
ग्रामीण महिलाओं को महिला आरक्षण विधेयक से फायदा नहीं होगा। क्योंकि वे संभ्रांत महिलाओं की तरह आकर्षक नहीं होती हैं। बड़े घरों की लड़कियां और महिलाएं केवल ऊपर जा सकती हैं। याद रखना, आपको मौका नहीं मिलेगा, हमारे गांव की महिला में आकर्षण इतना नहीं।
मुलायम सिंह यादव, समाजवादी पार्टी मुखिया
बाराबंकी में 9 नवंबर, 2012 को एक रैली के दौरान
(हालांकि, पार्टी ने सफाई दी कि मुलायम के कहने का मतलब शारीरिक लुभावनेपन से नहीं, बल्कि जनता के बीच एक राजनेता के रूप में आकर्षण से था।)


अच्छी प्रेमिका तो दुर्घटना
अच्छी मोटरसाइकल, अच्छा मोबाइल और अच्छी गर्लफ्रेंड हो तो दुर्घटना होना ही है।
  डॉ. रमन सिंह, मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़
(अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में 10 नवंबर, 2012 को सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम विषय पर सेमिनार में)


केवल एक तमाचा
एक थप्पड़। बस, एक ही थप्पड़ मारा।
केंद्रीय मंत्री शरद पवार को एक व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक रूप से थप्पड़ मारे जाने के बाद रालेगण सिद्धि गांव में अन्ना हजारे

चारों तरफ गधे
इधर गधे-उधर गधे, सब तरफ गधे ही गधे, अच्छे घोड़ों को नहीं घास और गधे खा रहे हैं च्यवनप्राश। यूपी में केवल कांग्रेस, बीएसपी और समाजवादी पार्टी की गरीबी घटी है।
-उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के औराई विधानसभा इलाके में चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी

दाऊद, विवेकानंद का आईक्यू एक
अगर साइंटिफिक भाषा में हम कहें तो दाऊद इब्राहिम और स्वामी विवेकानंद का आईक्यू लेवल एक समान था। लेकिन एक ने इसे गुंडागर्दी में लगाया और दूसरे ने इसे समाजसेवा में लगाया।
-पुरुषों और महिलाओं के बीच भेदभाव के मुद्दे पर भोपाल में एक समारोह के दौरान नितिन गडकरी

समलैंगिकता एक रोग
समलैंगिकता एक रोग है जो अप्राकृतिक है और यह भारत के लिए ठीक नहीं है। समलैंगिक संबंध कहां बन रहे हैं इसकी पहचान करने में हम सक्षम नहीं हैं क्योंकि इसके बारे में काफी कम बताया जाता है। यह एक चुनौती है क्योंकि महिला यौन कर्मियों के मामलों में हम इस तरह के समुदाय की पहचान कर सकते हैं और उन तक पहुंच सकते हैं लेकिन पुरुषों के बीच शारीरिक संबंध का पता करने में मुश्किलें आ रही हैं।
-दिल्ली में एचआईवी पर सेमिनार के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद

50 करोड़ की गर्लफ्रैंड

इस देश में कभी किसी ने 50 करोड़ रुपये की गर्लफ्रैंड देखी है। पचास करोड़ की गर्लफ्रैंड...
हिमाचल में चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी
(इशारा शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर पर था।)


रेप कानून पर संशोधन पर संसद का विशेष सत्र बुलाने की जरूरत नहीं है। वह प्रदर्शनकारियों से नहीं मिलेंगे। अगर हम इन सबसे मिलेंगे तो कल हमें माओवादियों से भी मिलना पड़ेगा।
-सुशील कुमार शिंदे
नई दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान


लोग भूल जाएंगे
कोयला खान आवंटन घोटाले को भी लोग कुछ दिनों बाद भूल जाएंगे। जिस तरह आम लोग बोफोर्स घोटाले को भूल गए हैं, उसी तरह कुछ समय बाद कोयला खान घोटाला भी भुला दिया जाएगा।
पुणे में केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे

सोनिया को नहीं पता था
आतंकी अजमल कसाब को फांसी बेहद गोपनीय तरीके से दी गई। पूरी प्रक्रिया इतनी गोपनीय थी कि इसकी जानकारी किसी को नहीं थी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी नहीं... यहां तक कि सोनिया जी को भी नहीं
-कसाब को फांसी दिए जाने के बाद, सुशील कुमार शिंदे
(संसद के शीतकालीन सत्र में अपने भाषण के दौरान शिंदे ने कई बार कसाब के नाम के आगे श्री और मिस्टर जैसे आदरपूर्ण शब्द का इस्तेमाल किया, एक बार नहीं कई बार)


ठीक है...
दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म मामला गरमाने के बाद प्रधानमंत्री ने अपने संदेश की वीडियो रिकॉर्डिंग पूरा होने के बाद पूछा ‘ठीक है’। यह संदेश देश के तमाम समाचार चैनलों पर बिना संपादित ही चल गया। इन दो शब्दों के चलते सोशल मीडिया में प्रधानमंत्री महोदय की काफी आलोचना हुई।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह

पुरानी पत्नी में वह बात नहीं
नई-नई जीत और नई-नई शादी... इसका अपना अलग महत्व होता है... जैसे-जैसे समय बीतेगा, जीत की यादें पुरानी होती जाएंगी... जैसे-जैसे समय बीतता है, पत्नी पुरानी हो जाती है... और इसमें वह बात नहीं रहती...
-श्रीप्रकाश जायसवाल,
भारतीय टीम के  टी-20 जीतने के बाद कानपुर में एक कार्यक्रम के दौरान


मुलायम सठिया गए
मुलायम सिंह पगला गए हैं, सठिया गए हैं, दिल्ली में सरकार बनाने का सपना पूरा नहीं होगा।
-तीसरे मोर्चे की संभावना पर बेनीप्रसाद वर्मा

71 लाख रुपये छोटी रकम
 सलमान खुर्शीद एक जिम्मेदार व्यक्ति हैं। वह केंद्रीय मंत्री हैं। पूर्व में भी वह केंद्रीय मंत्री रहे। जब वह कह रहे हैं कि कोई घोटाला नहीं हुआ तो उनकी बात पर भरोसा करना चाहिए। मैं नहीं सोचता कि खुर्शीद जैसा व्यक्ति 71 लाख रुपये जैसी राशि के लिए कुछ भी करेगा। एक केंद्रीय मंत्री के लिए यह बहुत छोटी रकम है। हां, अगर यह 71 करोड़ की बात होती तो मैं खुद भी गंभीर होता।
सलमान के ट्रस्ट में घपले के बाद बचाव की मुद्रा में बेनी प्रसाद वर्मा


महंगाई बढ़ना अच्छी बात
महंगाई बढ़ना अच्छी बात है। मैं महंगाई बढ़ने से खुश हूं। तेल, सब्जियों, आटा आदि के दाम बढ़ना अच्छी बात है। यह किसानों के लिए फायदे की चीज है।
बेनीप्रसाद वर्मा

केवल भौंके नहीं
केजरीवाल एक पार्टी शुरू कर रहे हैं। मेरी शुभकामनाएं उनके साथ हैं। भारत में बहुदलीय व्यवस्था है तथा एक दल और आएगा। यह अच्छी बात है। लेकिन मैं उन्हें सलाह दूंगा। हर दिन केवल भौंके नहीं, बल्कि कभी बाघ की तरह दहाड़ें भी। हमेशा भौंकने वालों की कोई कीमत नहीं रहती।
-अरविंद केजरीवाल द्वारा किए गए खुलासों के बाद बेनी प्रसाद वर्मा

सब कुछ खुला है
पहले लड़के-लड़कियां अगर एक-दूसरे का हाथ पकड़ लेते थे तो उनके माता-पिता उन्हें पकड़ लेते थे, डांटते थे पर अब सब कुछ खुला है... खुले बाजार में खुले विकल्पों की तरह...
महिलाओं के साथ बढ़ते दुष्कर्म के मामलों पर ममता बनर्जी

पैसे पेड़ पर नहीं उगते
सरकार ने आर्थिक सुधारों के मद्देनजर जो फैसले लिए है उसका विरोध कुछ सियासी दलों द्वारा किया जा रहा है। जनता ने हमें दो बार जिताया है और यूपीए सरकार के कार्यकाल में देश के हर क्षेत्र का विकास हुआ है। लेकिन आम जनता को किसी के बहकावे में नहीं आना चाहिए। सरकार जनता पर बोझ नहीं डालना चाहती है, लेकिन पैसे कहां से लाएं, पैसे कोई पेड़ पर नहीं उगते है।
-रिटेल में एफडीआई और डीजल के दाम बढ़ने से मचे हंगामे के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह

कसाब को फांसी, मोदी को क्यों नहीं
उस बच्चे अजमल कसाब को फांसी पर लटका दिया गया, ठीक किया। उसने दो सौ बेकसूर लोगों की जान ली थी। लेकिन, गुजरात में दो हजार मुसलमानों की हत्या के गुनहगार नरेंद्र मोदी को फांसी क्यों नहीं दी? पाकिस्तानी है तो हिंदुस्तानी को मारने पर फांसी। हिंदुस्तानी है तो हिंदुस्तानी को मारने पर देश की गद्दी... अगर देश में इंसाफ है तो कसाब की तरह मोदी को भी ऐसी सजा दी जाए।
-हैदराबाद में एक जलसे में मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन पार्टी के विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी

लड़कियां रंगी-पुती
वे (लड़कियां) मेकअप करके टीवी पर इंटरव्यू देने आती हैं। कैंडल लेकर मार्च करना आजकल की लड़कियों के लिए फैशन का एक काम बन गया है। वह दिन में अच्छे से तैयार होकर मार्च करने निकल जाती हैं और रात को वही लड़कियां डिस्को चली जाती हैं। यह लड़कियां सच्चाई से रूबरू नहीं हैं। इन्हें बस ऊपरी दिखावा करना आता है।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के सांसद पुत्र अभिजीत मुखर्जी

लेबल: , , , , , , , ,

शनिवार, 24 नवंबर 2012

अरविंद की आम आदमी पार्टी


 सोशल ऐक्टिविस्ट से नेता बने अरविंद केजरीवाल ने अपनी पार्टी के नाम और संविधान का ऐलान कर दिया है। दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केजरीवाल ने बताया कि उनकी पार्टी का नाम 'आम आदमी पार्टी' यानी AAP होगा। उन्होंने दूसरी पार्टियों पर करप्शन और परिवारवाद का आरोप लगाते हुए दावा किया कि उनकी पार्टी का संविधान दूसरी पार्टियों से बिल्कुल अलग है।

केजरीवाल ने बताया कि दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में 300 संस्थापक सदस्यों की मैराथन बैठक के बाद पार्टी का नाम और विजन डॉक्युमेंट मंजूर किया गया। उन्होंने बताया कि बैठक में राष्ट्रीय कार्यकारिणी के लिए 23 लोगों को चुना गया है। कार्यकारिणी में अरविंद केजरीवाल, आनंद कुमार, अशोक अग्रवाल, गोपाल राय, कुमार विश्वास, मनीष सिसौदिया, संजय सिंह, योगेंद्र यादव आदि शामिल किए गए हैं। केजरीवाल ने कहा कि पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की रविवार को बैठक होगी। केजरीवाल ने साफ कर दिया है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी ही सबसे ऊपर होगी। इसके गठन का औपचारिक ऐलान सोमवार यानी 26 नवंबर को जंतर मंतर पर एक सभा में होगा। केजरीवाल ने कहा कि पार्टी समारोह जंतर-मंतर पर सोमवार को होगा। इतिहास का हिस्सा बनने के लिए सभी आमंत्रित हैं।
 
 पार्टी में ये खास बातें होंगी...
1-आम आदमी पार्टी का टारगेट होगा भारत में स्वराज की स्थापना करना। आज केंद्र और राज्यों की सरकारें खुलेआम संविधान का उल्लंघन कर रही हैं। आम आदमी पार्टी का मकसद होगा कि भारत संविधान के अनुरूप चले।

2- आम आदमी पार्टी में दो तरह के सदस्य होंगे। देश का कोई भी आम आदमी या आम औरत जिसकी उम्र 18 साल से अधिक हो और जो पार्टी की विचारधरा और लक्ष्य से सहमत हो, वह 10 रुपये फीस देकर तीन सालों के लिए पार्टी का सामान्य सदस्य बन सकता है। जो सामान्य सदस्य 4 महीने से ज़्यादा सक्रिय रूप से पार्टी और देश के लिए काम करेगा, वह पार्टी का सक्रिय सदस्य कहलाएगा और उसे पार्टी में वोट करने का अधिकार होगा।

3-सक्रिय सदस्य का चयन कैसे होगा? स्वराज की अवधरणा के मुताबिक किसी भी गांव या मोहल्ले के सभी सक्रिय सदस्य नए सक्रिय सदस्य का चयन करेंगे।

4-आम आदमी पार्टी में परिवारवाद नहीं होगा। पार्टी के संविधान में यह लिखा गया है कि किसी भी परिवार के दो सदस्य एक साथ पार्टी की कार्यकारिणी में नहीं हो सकते। इसी तरह किसी भी परिवार के दो सदस्यों को पार्टी की तरफ से चुनाव लड़ने का टिकट नहीं दिया जाएगा।

5- पार्टी में महिलाओं और युवाओं के लिए विशेष स्थान है। हर कार्यकारिणी में महिलाओं और छात्रों के लिए स्थान सुरक्षित होंगे।

6-हर कॉलेज को गांव और म्युनिसिपल वॉर्ड की तरह प्राथमिक इकाई माना गया है। यहां से चुनकर आए छात्र सीधे राज्य और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बनकर पार्टी के निर्णय लेने में सीधे शामिल हो सकेंगे।

7-महिलाओं का खास ध्यान रखा जाएगा। पार्टी की हर प्राथमिक इकाई गांव, वॉर्ड व कॉलेज और ब्लॉक स्तर पर दो संयोजक होंगे। इनमें से कम से कम एक महिला का होना आवश्यक है।

8- हर कार्यकारिणी और परिषद में पिछड़ी जाति और अल्पसंख्यकों को भी प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।

9- पार्टी में राइट टु रिकॉल लागू किया गया है। किसी भी परिषद के सदस्य उस कार्यकारिणी के सदस्यों को वापस बुला सकते हैं। उसी तरह किसी भी कार्यकारिणी के सदस्य संयोजक, सेक्रेटरी या कोषाध्यक्ष को हटा सकते हैं।

10- पार्टी के दानदाताओं की सूची और खर्चों का ब्योरा समय-समय पर जनता के बीच रखा जाएगा।

11- राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर पार्टी के लोकपाल और लोकायुक्त का गठन किया जाएगा, जिसमें रिटायर्ड जज एवं समाज के प्रतिष्ठित लोग होंगे। यदि किसी भी आम आदमी के पास किसी भी कार्यकारिणी के सदस्य के द्वारा किए गए भ्रष्टाचार या अपराध के सबूत हैं तो वह आम आदमी उस स्तर के लोकपाल अथवा लोकायुक्त को शिकायत कर पाएगा। लोकपाल अथवा लोकायुक्त को यदि लगता है कि पहली नजर में मामला बनता है तो जो सजा लोकायुक्त/लोकपाल सुनाएंगे वह सज़ा उस सदस्य को माननी होगी। लोकपाल और लोकायुक्त उसे पार्टी छोड़ने के आदेश भी दे सकते हैं।

सोमवार, 12 नवंबर 2012

बेतुके बयान


यह मुंह खोले तो झूठ निकले। यह किसके बारे में झूठ बोलता है?... यह आपके बारे में झूठ बोलता है। यूएस की कंपनी को 25 हजार डॉलर प्रतिदिन के हिसाब से दिए गए... गुजरात में केवल आधा फीसली विकास हुआ है। नरेंद्र मोदी ने अपनी छवि(?) बनाने के लिए गुजरात के लोगों की खून-पसीने की कमाई एक अमेरिकी कंपनी को दी ताकि वह अपनी अच्छी छवि दिखा सकें। मोदी विकास पुरुष नहीं, बल्कि लहू पुरुष है। उनकी बुद्धि क्षमता माफिया डॉन दाऊद जैसी है।
मणिशंकर अय्यर, वरिष्ठ कांग्रेस नेता
नई दिल्ली में 10 नवंबर, 2012
(2008 में मणिशंकर अय्यर ने मोदी की तुलना हिटलर से की थी। तब खूब बवाल मचा था। मणिशंकर अय्यर ने कहा था कि 2002 के दंगों के दौरान अल्पसंख्यकों पर जुल्म ढाने के लिए बेरोजगार गरीबों को आगे कर दिया गया।)


मैं डेंगू का मच्छर हूं। मैं कांग्रेस तथा भाजपा को काटूंगा। फिर ये सब मुश्किल में पड़ जाएंगे।
अरविंद केजरीवाल, इंडिया अगेंस्ट करेप्शन
नई दिल्ली में 10 नवंबर, 2012
(कानून मंत्री रहने के दौरान सलमान खुर्शीद ने भ्रष्टाचार मामले में अरविंद केजरीवाल का हमला मच्छर काटने जैसा बताया था।)







भगवान राम बुरे पति थे। मैं राम को किसी भी तरह से पसंद नहीं करता। कुछ मछुआरों ने क्या कह दिया कि उन्होंने एक बेचारी महिला सीता को वनवास के लिए भेज दिया। लक्ष्मण तो राम से भी दो कदम आगे निकले। वह राम से भी अधिक बुरे थे। जब राम ने लक्ष्मण से सीता को खोजने के लिए कहा तो उन्होंने अजीब दलील दी कि सीता तो उनकी भाभी हैं। उन्होंने कभी उनके चेहरे की तरफ देखा ही नहीं। तब उन्हें पहचानेंगे कैसे और फिर उनको खोजेंगे कैसे?

अधिवक्ता राम जेठमलानी, वरिष्ठ भाजपा नेता
नई दिल्ली में 08 नवंबर, 2012 को महिला-पुरुष संबंधों पर किताब के विमोचन मौके पर


दिल्ली में बैठे कांग्रेस के बड़े नेताओं की दुकान चकाचक चल रही है। कोई मंत्री बने बैठा है, तो कोई सांसद। हमारे बड़े नेता खाली लफ्फाजी करते हैं कि मिशन-2013 में हम जीतेंगे। लेकिन इन नेताओं को जमीनी हकीकत का पता नहीं है। जब इन्हें मध्य प्रदेश की खाक छानने के लिए कहा जाता है, तो वे एसी से बाहर कदम नहीं रखते। इन नेताओं की दुकान जल्द ही बंद होने वाली है। बस 2013 का इंतजार कीजिए।
कांग्रेस कठिन दौर से गुजर रही है। इसके बावजूद हमारी पार्टी के बड़े नेता मुगालते में है। बीजेपी की स्थिति भी अच्छी नहीं है। उसके भी सब नेता बोगस हैं, लेकिन उन्हें आरएसएस का सपोर्ट है। आरएसएस के कार्यकर्ता गांव-देहात में चने खाकर भी मिशन 2013 के लिए जुट सकते हैं, जबकि हमारे नेता एसी से बाहर नहीं निकलते हैं।
सज्जन सिंह, कांग्रेस सांसद, देवास (मध्यप्रदेश)
नीमच में एक सभा के दौरान 10 नवंबर, 2012
....................
जिस तरह महात्मा गांधी ने बड़े से बड़े पद स्वीकार नहीं किए, उसी तरह सोनिया गांधी जी ने भी प्रधानमंत्री का पद ठुकरा दिया। सास इंदिरा गांधी और इसके बाद पति राजीव की मौत के बाद उन्होंने पार्टी को संभाला। यदि महात्मा गांधी राष्ट्रपिता हैं तो सोनिया गांधी राष्ट्रमाता हैं।
कांतिलाल भूरिया, कांग्रेस सांसद, मध्यप्रदेश
अपने बयान पर कायम
.........

नरेंद्र मोदी दिन शुरू होते ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को खुद के खिलाफ चुनाव लड़ने और जीत कर दिखाने की चुनौती देने लगते हैं। (एक कहानी के जरिए नरेंद्र मोदी पर चुटकी लेते हुए) ...बंदर पेड़ पर बैठा है। ऊपर बैठे-बैठे शेर को चुनौती देता रहता है, लेकिन नीचे नहीं उतरता। बंदर पेड़ पर बैठे-बैठे ही केशूभाई (केशूभाई पटेल) सरीखे पक्षियों को उड़ा कर मौज में रहता है। लेकिन शेर नीचे होने की वजह से वह उतर नहीं सकता।
अर्जुन मोढवाडिया, गुजरात कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष
चुनाव अभियान के दौरान सुरेंद्रनगर में, 08 नवंबर, 2012
................
नरेंद्र मोदी खुद की तुलना सरदार बल्लभ भाई पटेल से करते हैं और खुद को पटेल बताते हैं। एक और वो पटेल साहब थे, जिन्होंने देश को जोड़ने का काम किया और एक और यह चूहा है जो देश को तोड़ने का काम कर रहा है।
हुसैन दलवी, कांग्रेस सांसद
चुनावी भाषण के दौरान





ग्रामीण महिलाओं को महिला आरक्षण विधेयक से फायदा नहीं होगा। क्योंकि वे संभ्रांत महिलाओं की तरह आकर्षक नहीं होती हैं। बड़े घरों की लड़कियां और महिलाएं केवल ऊपर जा सकती हैं। याद रखना, आपको मौका नहीं मिलेगा, हमारे गांव की महिला में आकर्षण इतना नहीं।

मुलायम सिंह यादव, समाजवादी पार्टी मुखिया
बाराबंकी में 9 नवंबर, 2012 को एक रैली के दौरान
(हालांकि, पार्टी ने सफाई दी कि मुलायम के कहने का मतलब शारीरिक लुभावनेपन से नहीं, बल्कि जनता के बीच एक राजनेता के रूप में आकर्षण से था।)
..................

    अच्छी मोटरसाइकल, अच्छा मोबाइल और अच्छी गर्लफ्रेंड हो तो दुर्घटना होना ही है।
  डॉ. रमन सिंह, मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़
(अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में 10 नवंबर, 2012 को सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम विषय पर सेमिनार में)

गुरुवार, 24 मई 2012

जम्मू कश्मीर पर वार्ताकारों की रपट सार्वजनिक

जम्मू कश्मीर की समस्याओं को लेकर ठोस समाधान सुझाने के लिए केंद्र द्वारा नियुक्त तीन वार्ताकारों की रपट 24 मई, 2012 को सार्वजनिक कर दी गई। रपट में वार्ताकारों ने 1952 के बाद राज्य में लागू सभी केंद्रीय कानूनों और भारतीय संविधान के अनुच्छेदों की समीक्षा के लिए संवैधानिक समिति बनाने की सिफारिश की है।

पत्रकार दिलीप पडगांवकर, शिक्षाविद राधा कुमार और पूर्व सूचना आयुक्त एमएम अंसारी को केंद्र ने जम्मू कश्मीर समस्या के राजनीतिक समाधान पर सिफारिशें देने के लिए वार्ताकार नियुक्त किया था। वार्ताकारों की रिपोर्ट में ये बिंदु मुख्य रूप से सुझाए गए हैं....
  1.  राज्य विधानसभा राज्यपाल पद के लिए राष्ट्रपति को तीन नाम भेजे और राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति  करे।
  2. 1952 के दिल्ली समझौते के बाद राज्य से जुड़े भारतीय संविधान के अनुच्छेदों और केंद्रीय कानूनों की समीक्षा।
  3. राज्य को अनुच्छेद 371 के तहत विशेष दर्जा, जैसा अन्य कई राज्यों को है।
  4. अनुच्छेद 356 में कोई परिवर्तन नहीं, लेकिन यदि सरकार बर्खास्त होती है तो तीन महीने में चुनाव होने चाहिए।
  5.  आंतरिक आपातस्थिति में राज्य सरकार से पूर्व सलाह मशविरा करने की जरूरत।
  6.  जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के लिए तीन अलग अलग क्षेत्रीय परिषदें बनाने का सुझाव।
  7. रिषदों को विधायी, प्रशासनिक एवं वित्तीय अधिकार मिलें।
  8. तीन पहलू : राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक तथा सांस्कृतिक।
  9. राजनीतिक पहलू के दो पक्ष : केंद्र-राज्य संबंध और अधिकारों का आंतरिक हस्तांतरण।
  10. हथकरघा, बागवानी, फूल, जड़ी-बूटी और पर्यटन के प्रोत्साहन के लिए विशेष आर्थिक जोन बनें।
  11. पहाड़ी, सुदूरवर्ती, पिछड़े और प्रतिकूल मौसम वाली जगहों को विशेष विकास जोन बनाया जाए ताकि ऐसे इलाकों के लिए तय सरकारी सब्सिडी का फायदा वहां के लोगों को मिल सके।
  12. सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की अधिक सहभागिता। युवाओं पर विशेष ध्यान देने की जरूरत।
  13. नियंत्रण रेखा के दोनों ओर के लोगों के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान।
  14. विश्वास बहाली के उपाय और तेज करने की जरूरत। पथराव करने वाले उन युवकों को रिहा करने की सिफारिश, जिनके खिलाफ गंभीर आरोप नहीं हैं।
  15. अशांत क्षेत्र कानून को लेकर सतत समीक्षा की जरूरत। जनसुरक्षा कानून में बदलाव का सुझाव। सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (एएफएसपीए) पर विचार की आवश्यकता।
  16. नियंत्रण रेखा के आर-पार जनता के बीच सदभावपूर्ण रिश्ते बनाने के लिए निर्बाध आवाजाही की इजाजत दी जाए।
  17. एक सलाहकार तंत्र बनाने की आवश्यकता, जहां नियंत्रण रेखा के दोनों ओर के निर्वाचित प्रतिनिधि साझा हित से जुड़े मुददों पर बातचीत कर सकें।
  18. नियंत्रण रेखा को अप्रासंगिक बनाया जाए।

बुधवार, 9 मई 2012

बढ़ता तापमान कर देगा गेहूं की खेती को बीमार

देश का औसत तापमान 2098 तक 3.5 डिग्री सेल्सियस से लेकर 4.3 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है। इससे जहां गेहूं की खेती पर बुरा असर पड़ सकता है, वहीं मलेरिया के तेजी से फैलने की भी संभावना है। यह बात संयुक्त राष्ट्र को भेजी गई भारतीय रिपोर्ट में कही गई।
यूएन फ्रेमवर्क कनवेंशन आन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसी) को भेजी गई दूसरी रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन का जल, कृषि, वानिकी, प्राकृतिक पर्यावास, समुद्र तटीय क्षेत्र, मानव स्वास्थ्य तथा अन्य क्षेत्रों पर 1961 से 2098 के दौरान पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बताया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय उपमहाद्वीप में तापमान बढ़ने का अनुमान है और इस शताब्दि के आखिर तक इसमें 3.5 से 4.3 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि हो सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक तापमान में एक फीसदी वृद्धि का गेहूं की खेती पर अधिक असर नहीं पड़ेगा और मौसम के मुताबिक बुआई के थोड़ा आगे-पीछे खिसकाने या सही नस्ल के चुनाव से अनुकूलन स्थापित किया जा सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया कि इस रणनीति का लाभ हालांकि तापमान के पांच फीसदी तक बढ़ जाने तक धीरे-धीरे घटता जाएगा और शताब्दी के आखिर तक गेहूं की उपज में सलाना 2.75 करोड़ टन की गिरावट आ सकती है। वर्ष 2011-12 में देश में 8.83 करोड़ टन गेहूं की उपज हुई थी। इसलिए 2.75 करोड़ टन गिरावट का अर्थ है एक चौथाई से अधिक की गिरावट।
जलवायु परिवर्तन के अन्य प्रभावों में रिपोर्ट में कहा गया कि देश के उत्तरी राज्यों और मुख्यत: कर्नाटक सहित कुछ दक्षिणी हिस्सों में मलेरिया का तेजी से प्रसार हो सकता है।

शुक्रवार, 23 मार्च 2012

बलिदान दिवस पर विशेष

81 साल पहले क्रांति के नायक भगत सिंह को फांसी के फंदे पर लटकाया गया था। आज की ही तारीख यानी 23 मार्च को  अमर क्रांतिकारी भगत सिंह, अशफाक उल्लाह खान और राजगुरु को फांसी दी गई। यहां इन क्रांतिकारियों की कुछ अनछुई तस्वीरें....








सहारनपुर में शहीद भगत सिंह निवास






 

लेबल: , , ,

शनिवार, 17 मार्च 2012

देश की असल तस्वीर

  • करीब 36 फीसदी जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे
  • 20 करोड़ से ज्यादा भारतीयों की रोजाना एक डालर (तकरीबन 50 रुपये) से कम आय
  • आधी ग्रामीण आबादी के पास बिजली नहीं
  • 85 फीसदी ग्रामीण आबादी लकड़ी से खाना पकाने को मजबूर
  • 20 फीसदी शहरी भी लकड़ी से खाना पकाने को मजबूर
  • शहरों में भी दो तिहाई के पास ही एलपीजी गैस कनेक्शन
  • 11 लाख परिवार के पास रोशनी का कोई इंतजाम नहीं
  • 43 फीसदी ग्रामीण आबादी किरासिन पर रोशनी के लिए निर्भर
  • 20 फीसदी परिवार आधा किलोमीटर दूर से पैदल पानी लाने को मजबूर
  • 43 फीसदी आबादी के पास ही टेप (नल)
  • 34 फीसदी लोगों के पास ही हैंडपंप (चापाकल)
  • 71 फीसदी शहरी टेप वाटर पर निर्भर
  • 44 फीसदी ग्रामीण के पास ही हैंडपंप
  • 20 फीसदी आबादी के पास पेयजल का सुरक्षित स्रोत नहीं
  • आधी से भी ज्यादा आबादी खुले में शौच करने को मजबूर
  • 59 फीसदी लोगों के पास रहने लायक घर नहीं
  • 9 से ज्यादा सदस्य वाले करीब 8 करोड़ लोग एक कमरा में रहने को मजबूर
  • 6 से 8 सदस्य वाले करीब 26 करोड़ लोग एक घर में रहने को मजबूर
  • 20 करोड़ लोगों के पास फोन, रेडियो, टीवी, दुपहिया और कंप्यूटर नहीं
  • 36 फीसदी लोगों के पास फोन नहीं
  • 52.8 फीसदी लोगों के पास टीवी नहीं
  • 79 फीसदी लोगों के पास दुपहिया नहीं
  • 90.6 फीसदी लोगों के पास कंप्यूटर नहीं
  • केवल एक तिहाई ग्रामीण परिवारों के पास ही टीवी 
  • पांच करोड़ से ज्यादा बच्चों को स्कूल नसीब नहीं
  • आधी आबादी के पास स्वास्थ्य सुविधा नहीं
  • 80 करोड़ से ज्यादा लोगों के पास सामाजिक सुरक्षा नहींस्रोत : रजिस्ट्रार जनरल आफ इंडिया, जनगणना 2011

लेबल: , , , ,

‘दागी’ की फिर सुरक्षा की कमान

सूबे की पूर्ववर्ती सरकार के सबसे ताकतवर अफसर शशांक शेखर सिंह के कथित चहेतों को हटाने के फेर में दिल्ली में राज्यपाल और मुख्यमंत्री सहित वीवीआईपी की सेवा व सुरक्षा की कमान नई राज्य सरकार ने फिर उसी दागी को सौंप दी है, जिसे कीमती सामानों की चोरी आरोपों में निलंबित किया गया था। राज्य सरकार ने इस दागी की तैनाती उत्तर प्रदेश सदन का प्रबंध अधिकारी पद देने के साथ ही प्रदेश भवन का अतिरिक्त कार्यभार भी सौंपा है।

दोनों अतिथि गृहों के तकरीबन आधा दर्जन अधिकारी व कर्मचारियों को लखनऊ में संपत्ति विभाग मुख्यालय से संबद्ध करने का आदेश भी दिया गया है। इनमें माया सरकार के ताकतवर अफसर की कृपापात्र दो महिला अधिकारी भी शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश सदन में दिल्ली प्रवास के दौरान राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्री और वरिष्ठ अफसरों क ी सुरक्षा, आवासीय एवं खानपान आदि की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इसकी मुख्य जिम्मेदारी राज्य संपत्ति विभाग के प्रबंध अधिकारी की होती है। शासन द्वारा शुक्रवार देर रात यह जिम्मेदारी राज्य संपत्ति विभाग के नसीम अख्तर को सौंपी है।

नसीम समाजवादी पार्टी के एक कद्दावर अल्पसंख्यक नेता के कृपापात्र हैं। इसी प्रभाव की बदौलत माया सरकार के पहले की सपा सरकार में नसीम को प्रदेश सदन के प्रबंध अधिकारी के पद पर तैनात किया गया था। तब नसीम ने सदन के  फर्नीचर, कारपेट व अन्य कीमती साजसज्जा के सामान आदि में बड़ी हेराफेरी की थी। इसे लेकर भी वह कई बार विभागीय उच्चाधिकारियों के निशाने पर रहे।

वर्ष 2007 में बसपा सरकार बनने के बाद नसीम की कारगुजारियां सामने आर्इं। तत्कालीन राज्य संपत्ति सचिव अनूप चंद्र पांडेय ने मामले को गंभीरता से लिया और आरोप सही मानते हुए निलंबित करने के आदेश दे दिए। तत्कालीन निदेशक राज्य संपत्ति प्रभात मित्तल ने नई दिल्ली में यूपी सदन का मुआयना कर जांच रिपोर्ट शासन क ो सौंपी।

जब रिपोर्ट सामने आई तो शासन ने दिल्ली में तैनात अपर स्थानिक आयुक्त को पूरे प्रकरण की गहराई से जांच करने को कहा। साथ ही आरोपी प्रबंध अधिकारी के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज कराने के आदेश भी दे दिए थे। अपर स्थानिक आयुक्त जांच रिपोर्ट में भी उप्र सदन से सामानों की हेराफेरी की पुष्टि हुई। नसीम पर सदन की व्यवस्था में शिथिलता बरतने और अधीनस्थों पर नियंत्रण न रखने के आरोपों की भी पुष्टि हुई। इसके बाद लगभग साढेÞ तीन वर्ष नसीम निलंबित रहे और राज्य सम्पत्ति विभाग के  लखनऊ स्थित मुख्यालय से संबद्ध रहे।

 सूत्रों का कहना है कि इस बीच नसीम ने जांच रिपोर्ट पर सख्ती से बचने के लिए सारी कवायद की और अंतत: निलंबन वापसी कराने में सफल रहे। बहरहाल, सपा सरकार बनते ही यह दागी अधिकारी दोबारा से सक्रिय हुआ। उधर, सपा सरकार के मंत्रियों-विधायकों ने शपथ ली और इधर नसीम ने उसी कद्दावर अल्पसंख्यक नेता के सहारे दोबारा यूपी सदन में तैनाती के आदेश करा लिए।

लेबल: , ,

शुक्रवार, 16 मार्च 2012

अधूरी रही आस


आम बजट में राहत की उम्मीद लगाए बैठे लोगों को दादा ने बड़ी ही चतुराई के साथ छला। सुबह से ही लोग बजट की ओर निगाहें लगाए हुए थे लेकिन वित्त मंत्री ने जब संसद में बजट पेश किया तो उनके पिटारे से आम आदमी के लिए कुछ खास नहीं निकला। 16 मार्च, 2012 को पेश आम बजट में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी आयकर में मामूली सी छूट देकर जहां राहत देने की कोशिशें हुर्इं वहीं सर्विस और एक्साइज ड्यूटी दो प्रतिशत बढ़ाकर महंगाई बढ़ाने के साफ संकेत दे दिए गए....

क्या महंगा, क्या सस्ता

महंगा
होटल में रुकना
ब्रांडेड कपड़े
मकान
सोना
कंप्यूटर
विदेशी साइकिल
आभूषण
ब्यूटीपार्लर सेवाएं
सिगरेट और गुटखा
मोटरसाइकिल
रेफ्रिजरेटर
हीरा
सीमेंट
बड़ी कारें
रेस्टोरेंट खाना
फोन बिल
हवाई यात्रा
मसाले
जिम जाना
खाने का तेल
दूध
बटर
ब्रेड
अनाज

सस्ता
ब्रांडेड चांदी
पब्लिक ट्रांसपोर्ट
उर्वरक
ऊनी कपड़े
रेशमी कपड़े
रेडीमेड कपड़े
मोबाइल फोन
कृषि उपकरण
एचआईवी और कैंसर की दवाएं
माचिस
साइकिल
एलईडी, एलसीडी टीवी
नमक
मनोरंजन क्षेत्र
चावल

गुरुवार, 15 मार्च 2012

अखिलेश बने मुख्यमंत्री


समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक दल के नेता चुने गए अखिलेश यादव ने 15 मार्च, 2012 को उत्तर प्रदेश के 33वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। इस अवसर पर आजम खान, शिवपाल यादव व रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया सहित 19 विधायकों ने कैबिनेट और 28 ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली। इनमें कुछ को छोड़ दिया जाए तो लगभग सारे पुराने चेहरे हैं।

लखनऊ के लामार्टीनियर कॉलेज मैदान में आयोजित समारोह में राज्यपाल बी. एल. जोशी ने 38 वर्षीय अखिलेश यादव को प्रदेश के 33वें मुख्यमंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। वह प्रदेश के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री हैं। अखिलेश यादव के साथ 47 अन्य ने मंत्री पद की शपथ ली।

कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ लेने वाले 19 नेताओं में सपा मुखिया मुलायम के भाई शिवपाल यादव, महासचिव आजम खान, निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, वकार अहमद शाह, बलराम यादव, अहमद हसन, महेंद्र अरिदमन सिंह, आनंद सिंह, अम्बिका चौधरी, अवधेश प्रसाद, पारस नाथ यादव, ओम प्रकाश सिंह, दुर्गा प्रसाद यादव, राम गोविंद चौधरी, ब्रह्माशंकर तिवारी, कामेश्वर उपाध्याय, राजाराम पांडे, शिव कुमार बेरिया और राज किशोर सिंह शामिल हैं।

राज्य मंत्री के तौर पर इकबाल मसूद, महबूब अली, शाहिद मंजूर, फरीद महफूज किदवई, वसीम अहमद, रियाज अहमद, कमाल अख्तर, नरेन्द्र सिंह यादव, शिवप्रताप यादव, राजीव कुमार सिंह, राजेन्द्र सिंह राणा, राममूर्ति वर्मा, मानपाल सिंह वर्मा, मनोज पारस, मूलचन्द्र चौहान, अभिषेक मिश्रा, नरेन्द्र वर्मा, सुरेन्द्र सिंह पटेल, रामपाल राजवंशी, अरूणा कोरी, अरविन्द सिंह गोप, विनोद सिंह उर्फ  पंडित सिंह, भगवत शरण गंगवार, चितरंजन स्वरूप, शंखलाल मांझी, राम करन आर्य, जगदीश सोनकर व कैलाश चौरसिया को शामिल किया गया।

बेरोजगारी भत्ता देने पर मुहर
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के महज सात घंटे के बाद  मंत्रिमंडल की पहली बैठक में अखिलेश यादव ने बेरोजगारी भत्ता और लैपटॉप देने का अपना वादा पूरा किया। मंत्रिमंडल में 35 साल से ऊपर की उम्र के शिक्षित बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने का फैसला हुआ है। फिलहाल 9 लाख पंजीकृत बरोजगार हैं। करीब 1100 करोड़ रुपए हर वर्ष बेरोजगारी भत्ते में खर्च होने का अनुमान है।

छात्रों को लैपटॉप और टैबलेट
मंत्रिमंडल ने उत्तीर्ण होने वाले इंटर पास छात्रों को लैपटॉप और हाईस्कूल पास छात्रों को टैबलेट देने का फैसला किया। दोनों कक्षाओं में करीब 50 लाख छात्रों को लैपटॉप और टैबलेट देने होंगे। जिसमें प्रतिवर्ष करीब 3,000 करोड़ रुपए के खर्च का अनुमान है।

दसवीं पास मुस्लिम कन्याओं को 30 हजार
कक्षा दस उत्तीर्ण करने वाली मुस्लिम समाज की हर श्रेणी की कन्या को आगे की शिक्षा व विवाह के लिए 30 हजार रुपए का अनुदान देने, कब्रस्तानों की भूमि पर अवैध कब्जे रोकने के लिए उनके चारों तरफ चाहरदीवारी का निर्माण करने, लखनऊ शहर के महत्वपूर्ण चौराहों पर सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी कैमरे लगाने और कांस्टेबल व हेड कांस्टेबलों की स्थानांतरण उनके गृह जनपद के आस-पास के जनपद में करने का निर्णय भी लिया गया। सारे निर्णय नए वित्तीय वर्ष से लागू होंगे।

लेबल: , , , ,